'जाकी रही भावना जैसी'
आज बात बिरह के साहित्य पर
नागिन बैठी राह में, बिरहन पहुँची आय
नागिन डर पीछे भई, कहीं बिरहन डस न जाय-
संगी साथी कौन यहां विरह वेदना में।
मौन है वो स्वर जो उठे संवेदना में।।
मन की निर्जन वाटिका में शिथिल पड़ा तन।
दिशाहीन नीरस मन साथ रहा बस एकाकीपन।।
अंतर्मन की पीड़ा जमाने को दिखाऊं भी तो कैसे।
निगल रही जो दुविधा उसे समझाऊं भी तो कैसे।।
मन विचलित है भूत भविष्य की उलझनों से।
इन रूठे लबों पे मुस्कुराहट दिखाऊं भी तो कैसे।।
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"विरह में
व्याकुल प्रेमिकाएं
निहारती रहती उस पथ को
जहां से अक्सर उनका प्रियतम गुजरता हो..."
"छिप
जाती हैं,
उनके सांसों कि
खुश्बू और आने कि आहट मात्र से..."
"और
विलाप करती
आकुल मनस्थिती द्वारा
विरहसिंधू में चक्रवाक पक्षी के भांति...!"-
"प्रारंभ लगता हैं कभी, कभी अंत का आग़ाज हैं,
खोई हुई हूँ मैं कहीं, खोया हुआ हमराज हैं!
व्याकुल मेरा हर रोम है, दिल की गली विरान सी!
कैसे रहूँ तेरे बिना, अब रहती हूँ परेशान सी!
गम से भरे हर भाव है, मैं हर्ष से अंजान सी!
बातें किसी की भाए ना, लागे है व्यंग बाण सी!
वो दूर मुझसे है भले, फिर भी उसी पर नाज़ है!
खोई हुई हूँ मैं कहीं, खोया हुआ हमराज है!"-
ब्रेकअप, हिज्र और विरह वेदना शब्दार्थ एक भावनाएँ अनेक.......
Brakup is a part-time hurt and formality...
हिज्र तड़पता है और पन्नों पे उतरता है........
और विरह वेदना पवित्र प्रेम की शुरुआत है|-
मेरी जीवन की बगिया
उजड़ने को है
इसमें आशाओं के
हैं पुष्प खिले
ना ही तुम आए ना
तुम्हारे कोई संदेश है मिले
हार गई मैं वाट जोहते
आए ना श्याम सुंदर
आजाओ एक बार ही
सही मेरे नयनों के अंदर
पूर्ण करो मन की ये अभिलाषा
तुम्हारे दर्शनों की है लालसा
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ये सावन की बारिश ,अश्कों का शफ़क़-रंग..
हाय! ये विरह का दर्द भी क्या दर्द है..
कुछ मैं भी घर की दहलीज़ से बंधी हुई हूँ..
कुछ हमदम भी मेरा अहल-ए-नवर्द है..
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'प्रेम' में छली हुई
स्त्रियों
और 'विरह' में डूबी हुई
लड़कियों,
की कलम से
दुनिया की
सर्वश्रेष्ठ प्रेम रचनाओं का
सृजन होता है..❤️🌸-