सुनो कान्हा ,,तुम तो मधुर मधुप से बने फिरते हो
इतने चंचल चितवन वाले नयनों में कहां टिकते हो-
जब भी मैने प्रेम को समझने की कोशिश की
तुम कृष्ण की तरह आए जीवन में मेरे
मैं तो जानती ही न थी प्रेम क्या है
तुमने मुझे सिखलाया
प्रेम समर्पण का भाव है,,
तुमने मुझे बतलाया
प्रेम त्याग का रूप है ,,
प्रेम विरह बिन अपूर्ण है
प्रेम विरह से ही पूर्ण है
जैसे राधा के बिन कैसे कृष्ण पूरा है,,
कान्हा का जीवन रास अधूरा है,,
उसी तरह प्रेम क्या है ये मैने तुमसे सीखा है ,,
लोग तुम्हें यूं ही कान्हा नही कहते
तुम्हारे रूप में मैंने कान्हा को देखा है,,-
जिंदगी भर के लिए तेरा साथ मिले न मिले
तेरे साथ कुछ पलों की जिंदगी चाहती हूं
मैं सिर्फ तुम्हें बस तुम्हें हां तुम्हें चाहती हूं
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मेरी सखी की मुस्कान
मासूमियत से भरी है उसकी मुस्कान,
निश्छल प्यारी भोली है उसकी मुस्कान,-
जानती हूं न मिल सकेंगे एक दूजे से हम कभी
फिर भी तुझसे मिलने की दरकार है;
न जाने क्यों मेरे इस दिल को
आज भी सिर्फ तुझसे ही प्यार है;-
सुनो प्यारे...
हर तमन्ना
निचोड़ रखी है ...
डोर सांसों की
जोड़ रखी है...
तेरी यादों के इस
बहते पानी में
मैंने जीवन की
नाव छोड़ रखी है...-
ढलती हुई सांझ
और ये ओस की बूंदे...
प्रतीक्षा में मैं तुम्हारी
मीरा सी प्रेम दीवानी
और तुझे इन नयनों में मूंदे...
नीर भरे नयनों से
सिमरू में आठों याम
सुनो प्रिये ...जब तक तुम्हारा प्रेम है
है ये मेरा जीवन ...
मैं प्रेयसी प्रिये रहूं सदा तुम्हारी
और तुम सदा सदा के लिए
रहोगे मेंरे प्रियतम..-
सखी सुनो
श्याम सुंदर की छवि देखी जबसे
मेरा मन वश में ना रहा तबसे
वंशी की धुन से मेरी नींद चुरा के ले जाए
उसको देखे बिन मोहे चैन कहा से आए
अपनी चितवन से करे मोपे जादू टोना
एक टक मुझको देखे सुंदर श्याम सलोना
कटीले नैनो से वो मुझपे वाण चलाए
दिल को मेरे घायल वो कर जाए
मन्द मन्द मुस्कुराए वो नैन मुझसे लड़ाए वो
नैनो से करे छेड़खानी चित्त को मेरे चुराए वो
प्रेम का रोग लगा गया अपना मोहे बना गया
सखी मैं श्याम सुंदर पर अपना सर्वस्व हारी
मेरे तो प्रियतम बस हैं मेरे बांके बिहारी-
लाडली श्री राधा 🙏
"श्री जी मोहे बुला ले तू बरसाना"
(अनुशीर्षक में पढ़ें)-