कत्ल हुआ हमारा इस तरह किश्तों में
कभी क़ातिल नजरों से वार किया
कभी पलके झुका कर बेकरार किया-
बिक गए हैं हम,जो मेरा था सब तुझपर वार बैठे हैं
तेरी नजरों की सियासत में हम 'दिल' हार बैठे हैं-
चलो ख़त्म करते हैं यह रोज़-रोज़ की 'तक़रार'
तुम कर ही लो अब मुझ पर यह 'आख़िरी वार'
जिससे जीत हो 'हमारी' और हो जाये मेरी हार
सुनो! ऐसा करो, तुम आज कर ही दो 'इज़हार'
- साकेत गर्ग-
दर्द, दिमाग, वार.....💔
ये शायद जंग है....🔥
मेरी जान मोहब्बत में तो
ये सब नहीं चलता.....😉
💞💞💞-
😍Life ka funda😍
वक्त की नासाजगी में वार ना किया करो
सही वक्त आने का थोड़ा इंतजार भी किया करो-
आलम है यह बहार का, अब क्या कीजिये,
हर फूल है उधार का, अब क्या कीजिये..
कल तक जिनकी नज़रों में कैद थे हम,
वो खुद ही हैं फरार, अब क्या कीजिये..
रूह बिकती हैं, जिस्म बिकते हैं अब यहाँ,
मुफ्त के प्यार का ऐतबार, अब क्या कीजिये..
सारी ज़िन्दगी जिन पर वार दी हमने,
वाही पीठ पर दें वार, अब क्या कीजिये..
कतरे कतरे को मोहताज है खुद फलक यारों,
सुख की बारिश का इंतज़ार, अब क्या कीजिये...-
वो रोती नहीं अब,
अब..आँखों से सवाल, हज़ार निकलते हैं...
वो कहती नहीं अब,
अब... उसके बस ख्याल, बात करते हैं...
वो हसती नहीं अब,
अब...उसके अपने ही, वार करते हैं...-
अपनी खुशियों को भाईयों पर वार देती है,
बहने तो ताउम्र बस स्नेह और प्यार देती हैं!
सपनों को अपने देखती हैं भाई की आँखो से,
ख़ुद डांट खा के भी, भाई को दुलार देती है!
लड़ता है भाई बेशक़ वजह बेवजह बहन से,
पर बहन से नोक-झोंक ही उसे करार देती है!
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वो वादे , रिश्तों के धागे , वो प्यार ,
सबको झूठा ठहरा गया वक्त का वार-
नज़रों के फसाने हज़ारों है.....
हम तो बस उन्हीं के नज़रों के वार से घायल है।-