वो सुना रहे थे अपनी वफाओं के किस्से,
हम पर नजर पड़ी तो खामोश हो गए।-
तलाश तुम हो मेरी
मेरी चाहत हो
मेरी वफाओं को
यूँ अनदेखा न करो
पाया था तुम्हारा प्यार
जो अब खत्म हुआ
मोहब्बत में मुझसे
यूँ धोखा न करो-
ज़िन्दगी ने सब कुछ दिया पर वफा ना दी..!
ज़ख्म दिय सबने पर किसी ने दवा ना दी..!!
हम तो सबको अपना मानते रहे हमेशा से..!
पर किसी ने हमको अपने दिलो में जगह ना दी..!!-
***
बहुत रोएगा तू भी
मुझको रूलाने वाला
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याद आएंगा तुझको
जब मेरी वफाओं का हाला
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वफाओं से मुकर जाना हमें आया नहीं अब तक....
जो वाकिफ़ ना हो चाहत से हम उनसे जिद्द नहीं करते..!!-
अपनी हसरतें और तेरी वफाओं को कागजों पे लिखता रहा ,
कभी अपनी जीत तो कभी अपनी हार का नाम देता रहा .!-
इश्क़ ए रम जो मिली,
तो पीना आसां हुआ,
मोहब्बत ए ग़म जो मिला,
तो रोना आसां हुआ,
रूह तो ले गए, पर
महक ए वफ़ा फैला गए,
फ़िज़ाएँ जब भी चलीं,
तो जीना आसां हुआ।-
वह अस्को से 👉अपने इश्क़-ए-शहर को ले डुबा!
आंखें हो गई समुंदर 👉वफाओं का बदला गया मनसूबा!-
मुझे भी वफाओं की कैद से रिहा कर दो ए खुदा ....
मुझे बेवफ़ाई की खुली हवा में विचरण करना है-