बादलों में छिपी वो चाँदनी लकीर है,
दीदार ए महताब तो ख़ुदा की तहरीर है,
दामन ए उम्मीद बेशक बेहद हसीन है,
सुकून है कि आख़िर वो इश्क़ की ज़मीन है।-
Isha
(Isha ✍️ 🌷)
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ख़ुशगवार तो वक़्त साथ बिताते हैं
कलम तो ग़मों से लबरेज़ उठाते हैं।
❣️🔥❣️🔥❣️🔥❣️🔥❣️
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कलम तो ग़मों से लबरेज़ उठाते हैं।
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Joined 23 June 2020
20 HOURS AGO
17 APR AT 23:09
हँस कर क्या क़बूल की
सब सजाएँ हमने,
हर इल्ज़ाम हमीं पर डालने का
दस्तूर बना लिया तुमने।-
4 APR AT 14:11
थोडा ग़ुरूर भी ज़रूरी है जीने के लिए,
ज़्यादा झुको तो लोग पीठ को पायदान समझ लेते हैं।-
3 APR AT 20:15
इतना काफ़ी है कि तुझे जी रहे हैं ज़िंदगी
इससे ज़्यादा तु हमारे मुँह न लगा कर ।-
15 MAR AT 13:37
तेरे हर आँसू को काम में लाना है,
हर कतरे से प्रेम प्रगाढ़ बनाना है,
पत्तों पर न सज सकी वो बूँद तो क्या,
जड़ों में ही रहकर उसे मज़बूत बनाना है,
वो फूल तो हो जाएँगे बेवफ़ा इक दिन,
हमें तो काँटों सा तेरे संग जुड़े रह जाना है,
वो सावन तो कुछ पल का मेहमान ही रहा,
हमें उस भादो को तेरे मन में ठहराना है,
प्रेम ने तो कब से चेहरे अनेकों ले लिए,
हमें तो ताउम्र बैराग का व्रत निभाना है।
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12 MAR AT 14:43
बदनाम तो हो चुके हैं,
गुमनाम भी हो जाएँगे,
तेरी सुबह की ख़ातिर ए दोस्त
हर वो शाम हो जाएँगे।
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