तुम उस किताब की तरह हो
जो पहुँच तो गयी है मेरी लाइब्रेरी में
मगर जुटा नहीं पा रहा हिम्मत
उसे पढ़ने की।-
लाइब्रेरी की वो दो किताबें भी तो याद करती होंगी न हमें
जिनके पीछे हमारी नज़रें अक्सर इश्क़ खेला करतीं थी ।-
लाइब्रेरी में बहुत शांति थी
"KEEP SILENCE"
का बोर्ड चिढ़ा रहा हो जैसे
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पुस्तकालय एक कब्रगाह है
यह मृत लोगों से भरी हुई है
ये मृत लोग जिंदा हो सकते हैं
यदि , तुम पुस्तके पढ़ हो तो
सुप्रभात मित्रों 🙏-
लाइब्रेरी की किताबों से धूल झाड़ी तो..
कुछ अधूरी मोहब्बतों की कहानियाँ आ गिरीं..-
किस्म किस्म के ज्ञान मिलते है वहाँ,
ऐ दोस्त.. कोई "चाय की गुमटी", किसी लाइब्रेरी से कम नही होती..-
याद है कॉलेज की लाइब्रेरी में
किताबों की रैक के इस तरफ मैं,
उस ओर तुम खड़े हुआ करते थे
यकीनन वो किताबें आज भी वहीं है
बस उन पर वक्त की धूल चढ़ गई है-
ये दोपहरियाँ रहने लगीं
कितनी शांत व बोझिल
जैसे रूठ सी गयी हों
थक हार कर आराम चाहती
आधुनिकता के दौर में
लैपटॉप और मोबाइल ने
नींद छीन बेहाल बना दिया
यही दोपहरियाँ पहले
ऐसे वैसे कैसे भी सोती नहीं थीं
प्यार से खिलखिलाती थीं
खेलती थीं साँपसीढी लूडो
और कॉमिक्स की लाइब्रेरी
गुड्डे गुड़ियों संग सजाती थी
यादों में गुदगुदी मचाती है
अब भी वो दोपहरियाँ!!-
कभी-कभी अकेलेपन को भी
मिलता है सुकूँ नीरव एकांत में,
और वो तलाश करता है उसे
पार्क के किसी कोने में
रखी खाली बेंच में,
किसी बन्द पुराने बंगले के पीछे
उगी हुई ऊँची-नीची घास में,
किसी लाइब्रेरी की क़िताबों में
छुपे हुए रहस्यों में,
कभी टेरेस पर रखी बरसों पुरानी
धूल जमी लकड़ी की कुर्सी में,
और फिर मिलने लगती है पूर्णता
किसी विविक्त के
एकाकीपन को.....-
दिल की लाईब्रेरी से,
इक किताब चोरी हो गयी है।
लगता है कि,
पूरी जायदाद चोरी हो गयी है।-