दिल के दरवाज़े पर देखो लॉक मार रहा कोई
एहतियातन देख कर इसे ज़ौक़ मार रहा कोई,
बात ये की नही होती यँहा आपकी तआरुफ़
इसी वजह से लिखने का शौक़ मार रहा कोई।-
म... read more
देवताओं में भी स्वयं विश्वकर्मा ने तुझे गढ़ा है
मिट्टी मामूली नही मकराना के पत्थर से मढ़ा है
जज़्बात से मेरे नासमझ है अभी तु, यकीनन
बचे हुए पत्थर के टुकड़े तेरे दिमाग में पड़ा है।-
न शौक मजनू के जैसे है ना हीर जैसा
पालक की सब्जी बिना पनीर जैसा,
शख़्स, माहौल या कह लो की समय
दर्द मीरा के जैसा है लफ्ज़ मीर जैसा।-
चार सफ़ से रिश्ते नही अब मीठे है
हर रिश्ते जैसे यहाँ पर अब फ़िके है
क़ता लिखने को भी दिल नही करता
मेरा ख़्याल थोड़ा मुझसे अब रूठे है।-
बस इतनी सी ही देशभक्ति को निभा लू मैं,
बलिदानियों का आभार दिल से जता लू मैं,
बिखरे मिलते है एक दिन बाद सड़को पर,
सोलह अगस्त को तिरंगे वँहा से उठा लू मैं।-
इनके पापों के चेचक चेहरे पर उभरने लगे है
ये इतने गिर गए है, धर्म के धंधे होने लगे है।-
लेलो मेरा सुख मेरा चैन, किस्मत भी ले लोगे
लेलो मेरी शायरी, मेरी डायरी हुनर भी ले लोगे,
खुश रहते हो लोगो की खुशियां छीनकर जो तुम
लेलो मेरे रिश्ते, मेरे दौलत क्या कब्र भी ले लोगे।-
दूर जाकर भी वो कितना दूर गया होता,
सीने में दिल न हो तो सम्भल गया होता,
अगर तेरी जगह ना लेती वो तेरी सहेली,
यकीनन वो तो बिछड़ कर मर गया होता।-
आस्था नही बस डर के मारे मन्दिर में माथा टेकना
बेरोजगारी के नाम पर तो बस विपक्षी दल को छेंकना,
इनसे क्या ही उम्मीद, काम है इनका हर 5 साल बाद
जनभावना के साथ खिलवाड़ करके अपनी रोटी सेंकना।-
ये जिंदगी की सफर कटे तो कैसे कटेगी
दर-ए-ग़म न हो तो सब मजे से ही कटेगी,
रात तो मेरी अकेलेपन में गुजर ही जाएगी
गम तन्हाई हो तो भला सहर कैसे कटेगी।-