वो मान बैठा
मुझे झील सा शांत
मैं तो थी नदी-
सारी भूमिकाओं को
त्याग कर
वह मात्र स्त्री होना चाहती थी
इसलिए उसे
माता पत्नी बहन बेटी मित्र
सब होना पड़ा...-
इस दुनिया की
अधिकांश स्त्रियां
इसलिए भी कुंठित होती हैं
कि पहले उनके स्थान पर
रह चुकी स्त्रियां
भूल जाती हैं वह दर्द
जो वो झेला करती थी कभी...-
जरूरी नहीं कि हर बार जंग लगने से लोहा कमज़ोर ही हो,
कुछ दरवाजों के ताले इसलिए भी नहीं खुलते
क्योंकि उन्हें जंग लग जाती है...-
इस दीवाली आप सबको यही शुभकामनाएं हैं🙏💐🙂 कि आप हमेशा दूसरों को प्रकाशित🌠 करें लेकिन दीपक🪔 की तरह खुद अंधेरे में रहकर नही, फुलझड़ी🎆 की तरह बच्चों को खुश करें लेकिन चचड़ चचड़ नहीं, रॉकेट🚀 की तरह आसमान में जाएं पर किसी के छप्पर🛖 पर नहीं, बम-पटाखों🧨💣 की तरह आपके जीवन में भी धमाके आएं बस आपके कान 👂के परदे न फटें, स्काईशॉट🎇 की तरह ऊपर जाकर फटें बस नीचे किसी पर चिंगारियाँ बनकर न बरसें 😃
इसके साथ ही आपका जीवन सदैव धन- धान्य, सुख - समृद्धि, स्वस्थता आदि से परिपूर्ण रहे💐💐🙂 माता लक्ष्मी से हमारी यही प्रार्थना है 🙏🙂-
संसार की सभी श्रेष्ठ रचनाओं से
सुंदर होती है वह कविता
जो किसी स्त्री द्वारा रसोई में
गढ़ी जाती है
जब बेलन के संग-संग
घूमता है मन
रोटी के साथ-साथ
भावनाएं लेती है आकार
मसालों के मिश्रण सा
होता है शब्दों का मेल
चूड़ियों की खनक से
बन जाते हैं जब सुर-ताल
तब होता है एक उत्तम सृजन
और पाठक को होती है
किसी नए रस की अनुभूति
एक-एक कौर की तरह
एक-एक पंक्ति में आनन्द...-
समाज में कुछ आदर्श पुरुष होते हैं
जो कर्तव्य परायण पुत्र,
बेहतरीन पति,
सुयोग्य भाई
होने के साथ-साथ
अपने कार्य क्षेत्र के
निष्ठावान कर्मचारी भी होते हैं
कहा करते हैं वो कि
औरों के लिए जीने में
उन्हें संतुष्टि मिलती है
और इसी भ्रम में
वो अपने सुख, स्वप्न, इच्छाएँ
सब छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं
एक दिन मिलता है उन्हें अवसर
स्वयं के लिए सोचने का
तब उन्हें लगता है कि
इस आदर्शवाद के चक्कर में
वे कितनी ही बार अपनों के लिए
अपने ही जीवन से
पलायन कर चुके होते हैं....-
निर्भया 1, निर्भया 2, निर्भया 3, निर्भया 4, निर्भया 5, निर्भया 6, निर्भया 7 ...........………………..........................................…..………….......................….…………….…..…..........….............….....................................................................................................................................................निर्भया 10000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000.…..........
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