दूर भले वो मीलों मुझसे..
फिर क्यों छू कर जाती हैं..
दूसरी दुनिया मे होके भी..
मेरी दुनिया वो बन जाती हैं।
एक बूंद गयी जो आंखों से,
दो लव्ज़ यूँ अब तो निकलेंगे,
होश में ना मिल सकते अब..
चलो ख्वाबों में ही मिल लेंगे।-
सोच कोई और रस्ता पकड़ती,
लव्ज़ कुछ और ही बोलते हैं।
जज़्बातों से लदे बदन पर,
कमीज हँसी की ओढ़ते हैं।
तन्हा राहों पे भी सपनों के,
मेले बेधड़क से होते हैं..
इन बेपरवाह अरमानों के,
जलवे ही अलग से होते हैं।-
समझना हो किसी को अगर,
तो उसकी खामोशी को पढ़ना तुम।
लफ्ज़ कुछ बयां न कर पाये जब,
तो उसकी खामोशी को पढ़ पाओ तुम।।-
जिक्र भी करती नहीं सब कुछ खुद से सह जाती है
कुछ कहते कहते, जब वो अक्सर रह जाती है-
//लव्ज़//
कुछ बूँदे स्याही की कागज़ पर यूँ पड़ीं
कि गज़ब कर गईं
ऐसे लव्ज़ उकेरे कि होशोहवास के साथ
कुछ अजब कर गईं
आज भी वो शब्द पढ़ने की कोशिश में लगे हैं कई जानकार
जिन्हें पन्ने से फाड़ कर रख लिया मैंने संभाल
ज़ोर से लिखने से निचले पन्नों पर छाप छूट गई
रहस्यमय शांति में कोलाहल की लहर फूट गई
कैसे भी मुझे वो शब्द छिपाने थे, राज़ गहरे दफ़नाने थे, दिमाग की बत्ती जली, स्याही की कुछ और बूँदों की दी बलि
राज़ को स्याही में डुबा दिया, और मन के अंधेरे कोने में छिपा दिया, बेखौफ़ स्याही की लापरवाही का कुछ ऐसा सिला दिया-
उनके दिए हुए जख्म को भी सहते रहे।
मरहम लगाने आयेंगे वो इस बात से हरदम हस्ते रहे।तकलीफ तो बोहोत होती थी जख्म की,
लेकिन कम से कम इस बहाने ही सही तो वो हमसे मिलते रहे।-
सुना था इश्क बहुत खूबसूरत होता है ,
लेकिन अगर वो इश्क था तो हमें इतना दर्द क्यों था।-
सीधा साधा शब्दों में हमने दो अल्फ़ाज़ लिखे हैं,आपको हमारी ज़िंदगी और आपके प्यार को हमारी जान लिखते हैं। — % &
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प्यार लब्ज़ों में कहा है,
वह तो एक एहसास है..
उम्मीदों याद कौन करते हैं,
वह तो एक विश्र्वास है....-
वो कहती हैं ...
तू चल मेरे साथ एक बार,
जो कभी न छूटे वो साथ हो जाउंगी।
तू थाम मुझे इक बार,
जो कभी न छोड़े वो हाथ हो जाउंगी,
कि तू लिख मुझे इक बार,
तेरे नसीब की सुनहरी गाथ हो जाऊंगी।
अपनों से ज्यादा, अपनी सी लगती हैं,
मेरी किताबें मुझे अक्सर कहती हैं।-