A ceaseless struggle-
LiFe ...
-
मैं सुनती हूँ तुम्हे,
हर बार, बार-बार
कई बार सुनती हूँ तुम्हे..
इस आस में कि शायद इस बार वो मिल जाये,
वो जो शायद खो गया होगा मुझसे ही कहीं सुनते वक़्त तुम्हे ...
कि इस बार सुनूँगी तो पक्का, पक्का कहीं किसी किस्से से तुम्हारे ढूंढ लाऊंगी उसे!
वो जो हर बार ढूंढती हूँ,
वो जो बार-बार ढूंढती हूँ
जब-जब मैं सुनती हूँ तुम्हे ...
हर बार, बार-बार
कई बार सुनती हूँ तुम्हे।-
जब बेच दिया कुछ नोटों में तो किस बेटे को बुलाते हो,
बीवी आते ही बदल गया क्यों झूठा दोष लगाते हो?
क्यों अनमोल रिश्तों को नोटों में तोले जाते हो,
क्यों प्यार के पावन धागों को लालच में तोड़े जाते हो।
जब बेच दिया कुछ नोटों में तो किस बेटे को बुलाते,
बीवी आते ही बदल गया क्यों झूठा दोष लगाते हो?
क्यों उसके कच्चे सपनों को दहेज की आग जलाते हो,
क्यों बेटी कह कर लाते हो और बहू समझ ना पाते हो।
जब बेच दिया कुछ नोटों में तो किस बेटे को बुलाते हो,
बीवी आते ही बदल गया क्यों झूठा दोष लगाते हो?
क्यों रिश्तों के धागों को नफरत से खींचे जाते हो,
क्यों जीवन की पूंजी को लालच से सींचे जाते हो।
जब बेच दिया कुछ नोटों में तो किस बेटे को बुलाते हो,
बीवी आते ही बदल गया क्यों झूठा दोष लगाते हो?-
जो आज है वो कल नहीं होगा, समय ये तुम्हारा फिर नहीं होगा,
अगर दिया है वक़्त किस्मत ने किस्मत से तुम्हे,
तो निखर जाओ ये वक़्त फिर नहीं होगा।
जो आज है वो कल नहीं होगा, समय ये तुम्हारा फिर नहीं होगा,
बंद करो अब शिकायत की पोटली,
कि ये मौकों का पिटारा फिर नहीं होगा।
जो आज है वो कल नहीं होगा, समय ये तुम्हारा फिर नहीं होगा,
उड़ जाओ पंख लगा खुले आसमानों में
कि ख्वाबों का ये आसमां फिर नहीं होगा,
ख्वाबों का ये आसमां फिर नही होगा।-
Race to survive the long runs
Has permuted to a war ...
A war for life to survive .
A war for the last breathe to take.
A war for future (the bright one) to live.
A war for career to make.
The sayings have twirled-
-
नंगे पांव संभल कर चलना सीखा देते हैं,
रास्ते के कांटे मंज़िल दिखा देते हैं।
फूलों से नहीं महकते पर जज्बे से महकना सीखा देते हैं,
रास्ते के कांटे अक्सर मंज़िल दिखा देते हैं।
अपने हिस्से के कांटे खुद ही काट आगे बढ़ना सीखा देते हैं,
रास्ते के कांटे मंज़िल दिखा देते हैं।
कोमलता का आडंबर नहीं रचते,
हयात के सत्य से अवगत करा देते हैं,
रास्ते के कांटे अक्सर मंज़िल दिखा देते हैं।
-
सर्दी की ओस से,
स्वाति की पहली बूंद तक का सफर तय करना है तुम्हे,
अभी बहुत चलना है तुम्हें।
चांद-तारे नहीं, बस ख्वाबों का आसमान छूना है तुम्हे,
पर अभी बहुत चलना है तुम्हें।
अपने टूटते हौसलों को खुद ही जोड़े रखना है तुम्हें,
क्योंकि अभी बहुत चलना है तुम्हें।
अभी! बहुत चलना है तुम्हें ...-
इंसान तो तुम्हे कुदरत ने बनाया था, इंसानियत तुम सीख लेते।
उस पर गोली दागने से पहले, खयाल अपनी बहन का भी कर लेते।
इंसान तो तुम्हे कुदरत ने बनाया था, इंसानियत तुम सीख लेते।
बेशक! अपनी सत्ता के तुम बेशक नशे में रहते, पर बेबस की चीखें अनसुनी कर पनाह उन हैवानों को तो न देते।
इंसान तो तुम्हे कुदरत ने बनाया था, इंसानियत तुम सीख लेते।
उन पर पर्दे लगाने से पहले, पहरा एक संकीर्ण सोच पर भी लगा लेते।
इंसान तो तुम्हे कुदरत ने बनाया था, इंसानियत तुम सीख लेते।
बेटी बचाने से पहले, क्यों न बेटे पढ़ा लेते,
इंसान तो उसे कुदरत ने बनाया था ...
इंसानियत तुम सिखा देते।
-
उदासी का पर्व नहीं, पिता का गर्व हूँ मैं,
मिट्टी की गुड़िया नहीं, अपनी माँ की "बिटिया हूँ मैं"।
एक आंगन नहीं पूरा जहाँ रोशन कर जाऊं मैं,
इस जीवन में यूँ धूप सी बिखर जाऊं मैं,
क्योंकि पिंजरे की चिड़िया नहीं, अपनी माँ की "बिटिया हूँ मैं"।
तुम्हारे फैसलों की बंधुआ नहीं, मेरे पिता की मांगी दुआ हूँ मैं,
मिट्टी की गुड़िया नहीं, अपनी माँ की "बिटिया हूँ मैं"।
कोशिश तो हर बार होती है कि भूले से ही सही किसी रोज़ टूट जाऊ मैं,
पर यूँ कैसे! सपनो से रूठ जाऊ मैं,
क्योंकि पिंजरे की चिड़िया नहीं, अपनी माँ की "बिटिया हूँ मैं"।
उनके त्योहारों की रौनक नहीं, अपने घर का त्यौहार हूँ मैं।।
मिट्टी की गुड़िया नहीं, हौसलों की पुड़िया हूं मैं,
मेरी माँ की "बिटिया हूँ मैं"।
-
Not every time coated words could build a capping castle🙂.
-