उसके जनाज़े में वो भी बहुत रोते दिखे,
जिनके लिए वो मेरे पास रोता बहुत था!-
मतलब निकाल कर दुनिया सुख चैन से सोती है।
इस दिल ने खुद से ज्यादा चाहा सबको।
अब अकेले में बस चुपके चुपके रोता है।-
आईना भी बहुत ही ज़्यादा 'रोया' था 'अभि' मुझको रोता देखकर।
मेरी आँखों से भी ख़ून के आँसू निकल गए, मुझको रोता देखकर।
पंछी सारी ख़ामोश हो गए, गुमसुम हो गए, मुझको रोता देखकर।
मेरे तो होश ही उड़ गए, सारे ख़्वाब टूट गए, मुझको रोता देखकर।-
तू गया! मुझे कोई शिकवा नहीं मगर
वो दरख़्त आज भी हमें तंन्हा देखकर बहुत रोता है|-
ग़म ही तो है,
जीने का एक रंग ही तो है,
इसे भी माथे पर 'सज़ा' लो,
इसे भी प्यार करने की 'सजा' दो,
ना डर ना 'शिकन' का आलम होगा,
जब 'ख़ुद' ग़म ही तुम्हारा 'बालम' होगा,
तुम्हारा ग़म ही तुम्हारे साथ आँसू बहायेगा,
ख़ुद को रोता देख वो भी 'ठहाके' लगायेगा,
पछतायेगा अपनी ही 'तासीर' पर,
चल ना पायेगा माथे की 'लक़ीर' पर,
ख़ुद-ब-ख़ुद उठकर चला जायेगा,
जो रूठ गयी है तुमसे ख़ुशी...
उसे हाथ पकड़ फ़िर ले आयेगा।
जो ग़म को यूँ अपना लोगे
फ़िर कहाँ तुम तन्हा रहोगे
ग़म ही तो है...
जीने का एक रंग ही तो है....
- साकेत गर्ग-
"रोता हूँ मैं
तो हसंता हैं ये ज़माना
और जब हसंता हूँ मैं
तो मेरी खुशियों से भी
जलता हैं ज़माना "।
-
ज़िक्र-ए- वफ़ा में तुझे ही याद करता है दिल,
कभी रोता है तेरे लिए, कभी मचलता है दिल,
जब याद आता मुझे,
तेरा बेवफ़ाई के ताज से नवाजना,
तो कुछ पल में मचलता है दिल....!-
दिल तू क्यों रोता है ,
क्या तुझको दर्द होता है ।
अपनो की याद आती है ,
क्या सारी रात सताती है ।
आँखे भीगी जाती है ,
क्या तन मे आग लगाती है ।
क्या सब के साथ ,
ये होता है ।
यह दिल सिर्फ मेरा रोता है ।
यह दिल सिर्फ मेरा रोता है ।-