#अगर ☝ आप उस इंसान 👤 की तलाश 🔎 कर #रहे_हैं, 😌
जो #आपकी_ज़िन्दगी 🌍 बदल देगा तो अभी 👫 आप आईने 🖼 में #देख लें ।। 😎😎
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न माज़ी में न मुस्तक़बिल में जी रहे है..,
हम आज में आज के लिए जी रहे है..।।
जो कहते थे बुलंद है सितारा उनका..,
वो आज एक बेबसी में जी रहे है..।।
बहुत सी बातों में नाउम्मीदी नज़र आएगी..,
फिर भी हम उम्मीदों में जी रहे है..।।
तस्वीर जिनकी सीने से लगा रखी है..,
वो भी हमारी तस्वीर देख कर जी रहे है..।।
हवाओं का रुख माक़ूल नहीं शायद..,
जैसे तूफ़ान के पहले का मंज़र जी रहे है..।।-
एहसान कर रहे हैं!
जीने की ख्वाहिशें हैं,
इंसान मर रहे हैं..!
किस्मत की मेहरबानी,
सोचें तो डर रहे हैं..!
स्वतंत्र ठोकरों से,
हम भी बिखर रहे हैं.!
अपने थे कल तलक जो,
वो भी मुकर रहे हैं..!
मुश्किल भरा सफर है,
बचकर गुजर रहे हैं..!
सिद्धार्थ मिश्र-
हम झूठ को क्यों दोष दे रहे हैं
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हम झूठ को क्यों दोष दे रहे हैं
बिक तो सत्य रहा है
चंद रुपयों के लिए हमारे ही हाथों से
हम झूठ को बुन रहे हैं
हर वक़्त एक नया झूठ
लिख रहे हैं कोरे काग़ज़ पर
अपने लिए या अपनो के लिए
हम स्वयं अपना ईमान
कोड़ियों के दाम बेच रहे हैं
और बाते ईमानदारी से करते हैं
बड़े ही झूठ के साथ
शिक्षा से लेकर न्याय - धर्म
सब की कीमत तय कर रखी है और
हम झूठ को क्यों दोष दे रहे हैं बिक तो सत्य रहा है-
वो आज़ भी इल्ज़ाम लगा रहे मुझ पर।
झूठा ही सही कहीं तो हक़ जता रहे मुझ पर।
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नाटक जिंदगी करती......
सच झूठ से रूबरू होने के लिए....
यहाँ तो लोग मुखौटे लिए फिरते हैं....
हर गली में....
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नाटक ज़िन्दगी के न जाने क्यों वही बिकते है,
हर बार किरदार भी जहां पे नए नए दिखते है।-
#अगर ☝ आप उस इंसान 👤 की तलाश 🔎 कर #रहे_हैं, 😌
जो #आपकी_ज़िन्दगी 🌍 बदल देगा तो अभी 👫 आप आईने 🖼 में #देख लें ।। 😎😎
Good Evening-