मेरा,
तुझपे संवार दिया,
जो कुछ था मेरा,
सब तुझपे निसार किया,
दिल भी तुम और जान भी तुम,
दुनियां से बढ़कर सिर्फ,
तुझको प्यार किया....!!-
मंज़िल,
हर मुसीबत से लड़कर,
संघर्ष को पछाड़ कर,
उम्मीद का दिया जला कर,
बेड़ियों को तोड़कर,
मेहनत का अलख जगा कर,
असफ़लता को हरा कर,
करके हासिल होगा मंजिल !!-
मुझे पहले ही,
मैंने उनके लिए हर ख्वाहिश को ठुकरा दिया,
उनके लिए अपने ज़ज्बात को भी मार दिया,
अपना स्वाभिमान तक दाव पर लगा दिया,
वो पत्थर का मुरत,
मेरी भावनाओं को ना समझ सका,
अखिर मुझे बीच राह पर अकेले छोड़ ही गया,
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इश्क का आख़िरी मंज़र,
जब आंखे हो जाए समन्दर.....
दुनियां लगने लगे सुनी,
ख्वाब होने लगे बंजर....!!
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तेरे सामने से गुजर जाने पर भी,
ये आंखे चैन कहाँ पाती है,
तुम मेरे हो फिर भी ये जान नहीं पाती है,
रहते हो तुम धड़कनों मे,
ये जानते हुए भी,
ये धड़कनों से बात कहाँ कर पाती है,
तेरे सामने से गुज़र जाने पर भी,
हर बार ये मुलाकात अधूरी रह जाती है....!-
तेरा किसी और का हो जाना,
और मेरा तुझमे ही खोए रहना
यहि मेरे इश्क़ का प्रमाण है....-
बेईमान के साथ बेईमानी बहुत जरूरी है, ताकि उन्हें भी पता चले की ईमानदारी कितनी जरूरी है.....!
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