कितने समंदर कैद है भीतर
पर मजे की बात यह है कि
अब उफनता कोई नहीं....
नदियां भी मोड़ ली हैं रस्ता
अपना अपना,
इस सागर में आकर अब
मिलता कोई नहीं।
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9 DEC 2021 AT 22:16
9 MAR 2020 AT 1:56
मुझको दिखा रहा था
जो मंजिलों के ख्वाब
फिर मेरे सामने से वो रस्ता चला गया-
12 NOV 2019 AT 7:02
धीरे धीरे चल रहा हूँ
मैं रस्ता बदल रहा हूँ
जितना ऊपर चढ़ता जाता
उतना नीचे फिसल रहा हूँ-
20 OCT 2019 AT 12:08
मंज़िल तो मिल ही जाएगी आज नहीं तो कल,
बस रास्ते में मुस्कुराते चलना हर पल।-
7 NOV 2020 AT 21:01
वो ख़ुद न आए मेरी गली तो रस्ता क्या करे
अरे तूँ इंसान है फिर ग़रूर में हवा क्या करे-
19 OCT 2020 AT 10:43
मै और मेरे जज़्बात वहीं इंतजार में है तुम्हारे
क्या रिश्ते टूट जाते है एक गलतफहमी के बाद।।-
22 JUL 2021 AT 11:20
जिन प्रेमिकाओं की पीठ पर बना गए प्रेमी रस्ता ,
फिर प्रेमिकाएं उन मंजिलों से भी नफरत कर बैठी |-
22 APR 2019 AT 9:19
विसरलोय मी,
माझ्या आयुष्यातला,
तो जुना रस्ता.
(पुर्ण कविता मथळ्यामध्ये वाचा)-