QUOTES ON #रजनी

#रजनी quotes

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17 JAN 2018 AT 13:38

प्रणयरात्रि

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3 JAN 2017 AT 16:24

"दिन भर धूप ,
रात भर चांदनी साथ है,
और लोग कहते है,
ये तनहाइयाँ है।"

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14 JUL 2021 AT 22:42


चांदण्यांनी रात्र सजली,चमके दीपमाळ गगनी
रंग जरी काळा तिचा ,सुंदरा भासे शृंगारात रजनी

शृंगारकरुनी आले सजूनी ,काजवे चमकले खुलूनी
जसा सणाचा उत्साह दाटला ,रजनीच्या जमल्या सख्या अंगणी

फुलेही रंगली सख्यांसोबती,रंग रंगीत शालू नेसूनी
दरवळला गंध सुगंधी,आल्या साऱ्या अत्तर लेवूनी

रूपात गुंतल्या सख्या सजल्या,भाव दडलेल्या साऱ्याजणी
नकळत,लाजे हळूच कळ्या,लालबुंद फुल-पाकळी

लगबग झाली नदी निघाली,गुणगुणत मंजुळ गाणी
डोलू लागला वारा तालावर,गाण्याच्या सुरा-सुरांनी






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25 MAR 2021 AT 21:16

रजनी का यूँ आगमन
जैसे नयनों में काजल
जैसे काले-काले बादल
जैसे धूम्र विलोचन
जैसे स्याह श्याम तन
जैसे घुंघराले केश
जैसे श्यामल रुप विशेष
जैसे नीली आभा
जैसे तारों की सभा
और एक चाँद..

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12 DEC 2020 AT 18:42

जागूँ क्यों सारी रैना, सजनी
जागें क्यों मेरे नैना, सजनी
जागे क्यों संग मेरे, चंदा
जागे क्यों संग मेरे, रजनी

न आये निंदिया, सजनी
जगाये बिंदिया, सजनी
बताऊँ तुझे क्या, सजनी
जगाये मुझे क्यों, रजनी

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21 JAN 2021 AT 19:54

मुझे अपने सनम के साथ जी भर कुछ वक्त गुज़ार लेने दे
ऐ चंँदा कुछ पल के लिए अपनी चांँदनी के साथ चला जा दूर कहीं
तेरी चांदनी की रोशनी में मेरा सनम मुझसे शरमा जाएगा
मेरा सनम बहुत शर्मीला है तुझे देखकर वो मेरे करीब कैसे आएगा

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21 JAN 2021 AT 12:22

रजनी के अंधेरों में ऐ चाँद तेरी चाँदनी भी प्रकाशित होती है
हमें अंधेरों में ही रहने दो अपने ख़्वाबों के सहारे
एकांत के पल में जो सुकून है ज़माने से छिपकर
वो बयान कर ना सकु मैं चाँद तेरी चाँदनी में

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4 FEB 2020 AT 18:48

खोल केश के लट घुंघराले
तिमिर विभा से काले-काले
रजनी चंचल मुसकाई
कारी यामिनी घिर आई
खोल नयन कजरारे
दृग पाश भर हारे
रजनीगंधा सौरभ भार
उन्मुक्त यौवन उद्गार
खोल बांह निशी अंग अंग
तम आभा विभूषित रंग
दसों दिशाएं क्षण विहंग
रव उन्मादित बाज मृदंग..

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2 MAR 2020 AT 21:49

यामिनी अति पुनीत है तम भी अतीव नवनीत
सुकुमारी है षोडश यौवनी तिमिर भी है प्रतीत
निशा है कोमलांगी मृदु तमस भी सम है प्रचुर
आभासी है निद्रा की तमिस्त्र संग अंङ्ग भरपूर
रजनी आभा चहुंओर शशि श्वेत है सुसज्जित
अंधियारा छाई है वसुंधरा पोर-पोर है रञ्जित
स्वप्निक भावना सेज सजी विस्मृत है तल्लीन
नयन कपाट हैं मंद-मंद अब हो रही है मलीन

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2 FEB 2020 AT 18:38

खोल पलक यामिनी मुसकाई
विभा मय गतिशील
बिखरे मोती नील गगन
खिले मेदिनी झील
हंसी चांदनी श्वेत शशि
पीयूष रस मुख सींच
मुक्तक दिशाचक्र की बाहें
नयन मुंद ली भींच..


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