राही तो अंजान है
मुश्किलों से परेशान है
मंज़िल के वास्ते
रास्ते की तलाश है
हैरान परेशान तनावग्रस्त
विवेकहीन चिंताग्रस्त हौसेलेपस्त
स्थिति मे चुनाव करता है
कुछ हासिल करने को
परिवार को सुख देने को
दुनिया से लड़ जाता है
खुद को मिटा देता है
उसका परम ध्येय है
खुशियां इकट्ठा करके
अपनो की झोली भरने में
उसे सोचने का वक्त ही कहाँ है?
रास्ते किस तरफ खुलते है?
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