हम तो तुमी से मिले ही नहीं थे
तो बिछड़े हुए होंगे कैसे
जो खत हमनें तुमको लिखे ही नहीं थे
वो तुमने पढें होंगे कैसे-
किसी के जिंदगी से हर रंग छीनकर हाथो में मेहंदी कैसे लगा पाते हो,
बस एक बात का जवाब मुझे दे दो ?
आईने के सामने खड़े होकर खुद की नजरें कैसे
मिला पाते हो।
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इंसान इश्क़ में कुछ खोता नहीं है
कुछ ना कुछ पाता। ही है और
वो है “दर्द “-
कातिल है मौसम बारिश का और मोहब्बत का भी
बारिश की बूंदे कसक दिल में उठने दे
ना रोक यू खुद को आज भीग जाने दे
आज है मौसम बारिश का और इश्क का भी
बारिश से इश्क इस कदर करने दे-
जहर है तो क्या करें, मय समझ पिये जाता हूँ ,
ज़िन्दगी दरअसल हैं नहीं पर जिये जाता हूँ ,-
ये सच है कि तुम मेरे दिल की दुआओं में बसते हो,
जीवन के खालीपन को अपनी मुस्कान से भरते हो।
हाॅं, ये सच है मेरा हर स्वप्न है तुम्हीं से जुड़ा हुआ,
तुमसे ही है अरमानों की उड़ान तुम्हीं नयनों में रंग भरते हो।
सजल नयन जब तुम्हें पुकारे नैनों की भाषा पढ़ते हो,
और किंचित से स्पर्श मात्र से अंतस पीड़ा को हरते हो।
पतझड़ में वसंत तुम्हीं और तुम्हीं सावन की हरियाली,
ठहरे-ठहरे से जीवन में तुम्हीं प्राणवायु सी बनते हो।
ये भी सच है कि मेरे दिल की आस तुम्हीं विश्वास तुम्हीं,
खिल जाती है जिंदगी जब ठंडी फुहार बन बरसते हो।
......... निशि..🍁🍁-
ये अल्फाज साथ नही देते.......
न तेरा न मेरा......
तो क्यों न चुप रहा जाए......-
तेरी बेरुख़ी का ज़वाब कुछ इस कदर मिला
मैंने कहा कुछ नहीं हुआ और तूने मान लिया...-
ये जो मेरी नाकामी पर हँस रहे हो ना,
मेरे काबिल होने के लिए काफी है..
ये जो मेरी हसरतों को कुचल रहे हो ना,
दिल में आग जलाने के लिए काफी है..
ये जो किसी और गली चल रहे हो ना,
बस मुझे रुलाने के लिए काफी है...-