आज भीतर तक ठेस पहुंची, बहुत से सपने भी बिखर गये, लेकिन मैं हार नहीं मान सकती, लगता है खुद को साबित करने के लिए जिंदगी का एक ओर दोर किताबों को देना होगा ।— % &
किताबें हमारी पढीं थीं सभी ने पर हमको किसी ने पढा ही नहीं जिस्म को हमारे सराहा सभी ने पर रूह को हमारी छुआ ही नहीं सफलता हमारी थी देखी सभी ने पर प्रयासो को देखा ही नहीं लिखा हमने वो समझा सभी ने पर हमको किसी ने जाना ही नहीं