"इनसान महान पैदा नहीं होता है, उसके विचार उसे महान बनाते हैं. विचार और काम की शुद्धता और सरलता ही महान लोगों को आम लोगों से अलग करती है,
वे वही काम करते हैं, जो दूसरे करते हैं, लेकिन उनका मकसद समाज में बदलाव लाना होता है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिन्हें प्यार से हम 'बापू' कहते हैं, महान सोच वाले एक साधारण व्यक्ति थे,
वे करोड़ों देशवासियों के जीवन में बदलाव लाना चाहते थे।
आज हमें जो आजादी हासिल है, उसके लिए राष्ट्रपिता ने बड़ी कुर्बानियां दी थीं. वे सबके साथ मिलकर चलना चाहते थे,
आज हम परिवार के अंदर बंट गए हैं, खुद को कंप्यूटर तक सीमित कर लिया है और स्मार्टफोन को अपनी दुनिया बना ली है।
इन जंजीरों से निकलने में बापू के विचार हमारे लिए मददगार साबित हो सकते हैं.
गांधीजी जो कहते थे, वह करते थे।
#हमारी तरफ से बापू को जन्मदिन की बहुत सारी बधाई।।
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क्यों भरोसा करु गैरो पर,,
चलना है जब खुद के पैरों पर ।।-
यहां लिखता नहीं कोई मै कविता,
यें तो ज़ज़्बातों की चाह निकल जाती है..!!
और यहां दर्द में सने हुए दिल से,
कलम की छाप चल जाती है..!!
बयान तो हो जाता है यें,
कलम की हर छाप से..!!
पर दिल में छुपे हर दर्द से,
आह की चीख निकल जाती है..!!
यहां लिखता नहीं कोई मै कविता,
यें तो ज़ज़्बातों की चाह निकल जाती है..!!-
दिल में लाखों दर्द छिपे है,
मुस्कुरा रहा है, हर कोई यहां..!!
लब्जो से खामोश है हर कोई,
आँखों से, खुद को सुना रहा है, दर्द यहां..!!
खता मोहब्बत कि कितनो ने कर लिया,
हर कहानियों में, ना जाने कितने है, बेवफा यहां..!!
प्यार, मोहब्बत तो सबको चाहिए,
पर जुदा होने से, हर कोई डर रहा है यहां..!!
दिल में लाखों दर्द छिपे है,
मुस्कुरा रहा है, हर कोई यहां..!!-
मै पगली समझदारों की नगरी में
500 वीं बार रायता फैला रही हूं
समझ नहीं रहा क्या कहूं
बस आसान नहीं इस सफर को शब्दों में पिरोना
पिछले 4 महिनों में आते जाते अड्डा सा जमा लिया
इस बड़े से महल में अपना छोटा सा कोना बना लिया
बस अब इस कोने को आपके साथ सजाने की तमन्ना है
परिवार बड़ा है तो नोंक झोंक और प्यार का रिश्ता भी गहरा है
500 वी गुस्ताखी
MD Bhuradia आई Yq की नगरी-
"शब्द"
ये शख्स बड़ा ही
खतरनाक है जनाब
जब तक ये जीभ से दबा होता है
इनका कोई वजूद नहीं
पर जैसे हम इन्हें वायु में छोड़ते
इनका शक्ति इतना अधिक हो जाता
कि कुछ पल में ही
आपकी पूरी जिंदगी को
तबाह या उसे बचा सकता है-
तेरे गम में जो लड़खड़ाए तो नशेबाज हुए
तेरी हक़ीक़त से ज़िन्दगी रुबरु आज हुए
रहे खामोश तेरे दिल के किसी कोने में हम
मिला ना गीत जिसे हम इक ऐसा साज़ हुए
काट रखे हैं मेरे पर उनकी बेवफाई ने "विनीत"
डाल पर बैठे हम पंछी बिन परवाज़ हुए
लिखी थी दिल की दास्ताँ बड़ी वफ़ा से सनम
अंजाम हो न सका जब जब भी वो आगाज़ हुए
वक़्त की आग में जल जाते हैं सारे रिश्ते
सदा यहां किसके ज़माने में तख्त ओ ताज हुए
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इधर उधर से ना रोज यूँ तोड़िये हमको,
अगर खराब बहुत हैं, तो छोड़िये हमको."-
सर के ताज पर
जालिमों का प्रहार हो गया
जिसको दी थी हमनें शरण
वहीं यहां नफरतवार हो गया-