Kunu
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@कुनु
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Wish me 24 April 🎂
छोड़ सब काम - काज़ गर्मी है
भींगने दे क़्लब ओ जान गर्मी है
होंट पर ठंढे होंट रख सके तो रख
पूछ मत खस्ता हाल - चाल गर्मी है
त'अत्तुर ए हुस्न शबनमीं अहसास
उफ़ पिला ऐसे - ऐसे आब गर्मी है
पास हूं अभी जी भर कर छु ले
मत कर बिछड़ने की बात गर्मी है
तिरछी नजर भींगे लब खुले बाल
हाये रख ऐसे रंगीन नाज़ गर्मी है
यारों इश्किया बरसात करवाओ
छोड़ो अब नफ़रत ए शाम गर्मी है-
उसके देखे से जो आती है लबों पे हँसी
लोग कहते है तकमील ग़ज़ल खूब ग़ज़ल-
खुद से खुद की मसाफ़त मार डालेगी
मुझको मेरी हि ख़िल्क़त मार डालेगी
अच्छा हि है झूल जाऊँ रस्सी पे खुद
मैं जिंदा रहा तो सियासत मार डालेगी
ख़ून थूकने लगा बज़्म-ए-शे'र-ओ-अदब
यार ग़ज़ल लिखने की शहवत मार डालेगी
मैं चाहूँ भी तो नहीं आ सकता जद़ में तिरे
मुझे ये दोस्ती प्यार ये रफ़ाक़त मार डालेगी
तुम्हें मारती होगी भूख वहशत ज़िंदगी ओ रंज
मुझको तो इक लड़की की जरूरत मार डालेगी
जीतना हो सके दूर रहो नफ़रत करो मुझसे कुनु
मुझे अब फ़िक्र इंतजार ओ मुहब्बत मार डालेगी-
नफ़रत ए जंग से वाबस्ता आज़म बातिल है
तारीफ़-ओ-मंक़बत के सारे मौसम बातिल है
اعظم نفرت انگیز جنگ سے جھوٹا ہے
تعریف و منقبت کے تمام موسم جھوٹے ہیں
वो अभी भी मुझमें हँसती खेलती हुई जिंदा है
उसका ख़ुदा हाफ़िज़ मिरा हर मातम बातिल है
وہ اب بھی میرے اندر رہتی ہے، مسکراتی ہے۔
ان کا آخری خدا حافظ، میرا ہر غم جھوٹا ہے۔
जीते जी महसूस होगा दोनों यक़ीनन यहीं
यार मरने के बाद जन्नत ओ ज़हन्नम बातिल है
آپ دونوں یقینا یہاں زندہ محسوس کریں گے.
انسان، مرنے کے بعد جنت و جہانم جھوٹی ہے
आपका यक़ी ना उठ जाए इसलिए हँस रहा
वैसे ये इश्किया दुआ फ़िक्र ए मरहम बातिल है
سچائی پر اپنا یقین مت کھونا.
ویسے یہ محبت بھری دعا باطل ہے۔
फ़ितरत है मिरा ये रंज ख़ामोशी अज़ाब कुनु
मिरे मुस्कुराते तस्वीरों के सब एल्बम बातिल है
فطرت ہے میرا یہ رنج خموشی اجاب درد صاحب
میری مسکراتی ہوئی تصاویر کے تمام البم جھوٹے ہیں-
इब्तिदा से हि मिरे रफ़ाक़त में है महदूद ए चंद लोग
या'नी ऐ ग़म तेरे मुख़ासमत में है महदूद ए चंद लोग
नफ़रत बारुद मजहब खंजर सब के सब फ़ुज़ूल है
जाहिलों रास्त की हिफाजत में है महदूद ए चंद लोग
पढ़ते है गाते है गले लगा रखते है मुझको हर वक़्त
हाय..... उसकी उबूदियत में है महदूद ए चंद लोग
बाद-ए-सबा में जी उठे फिर से बस्ती चौराहा मियां
उफ़ बा'द -ए-ख़िज़ाँ की रुत में है महदूद ए चंद लोग
जीतना हो मीठे मिसरो से फासले बरकरार रखिए
साहब 'तारीफ़-ओ-मंक़बत में है महदूद ए चंद लोग
कीजे ना कोई शोर और खामोश कमरे से छेड़ छाड़
सुखन से शापित होगे ख़ल्वत में है महदूद ए चंद लोग
दुनियाभर का इल्म और हसीन हर्फ़ जमा कर रहा हूँ
यारों मेरी आखिरी सुंदर खत में है महदूद ए चंद लोग
रखी है जबसे वो मिरा तख़ल्लुस कामिल कवि कुनु
ख़सारा सही म'गर निज़ामत में है महदूद ए चंद लोग-
मुस्कुराहट मिरा इजहार बने
मुस्कुराहट तिरा इकरार बने
तू ख़ुशी ख़ुशी देख सके हर ख्वाब
मिरा इश्क तेरे चाहत का बाजार बने
तिरे गेसुओं के साये में पले बढ़े रहे
मिरा हर लम्हा हसीन दिलदार बने
बह्र रदीफ़ क़वाफ़ी पढना हुआ फुजूल
तूने छूआ बस और कई अश’आर बने
माँगटीका गज़रा से क्या लेना देना तुम्हें
तिरी इक बिंदिया हि सौलह श्रृंगार बने
महक उठे तेरे आने से फिजा जान ए मन
तिरे उल्फत में मिरा हर ज़र्रा गुलजा़र बने-
ये नहीं कि फक़त हँसा करुँगा मैं
तू छुई मुझे तो जिया करुँगा मैं
तुझसे बिछड़ा तो समझ आया मर्जी
सो इस बर्थ डे परिंदे रिहा करुँगा मैं
दर्द के बहाने लग जाऊंगा गले तुम्हारे
और तिरे हर मर्ज़ की दवा करुँगा मैं
छोड़ दूँगा शराब सिगरेट ओ अज़ाब
तुम्हें पी बस इक तिरा नशा करुँगा मैं
मुझसे रहा नहीं जाता शरीफों की तरह
देखो मुआफ़ी पर बहुत खता करुँगा मैं
अब और न जुदा रह पाऊँगा तुझसे
मसलन तिरे लबों पे हि ठहरा करुँगा मैं
इब्तिदा से मानते आया हूँ खुदा इश्क को
तू जब भी सामने आई तो सजदा करुँगा मैं
तुम ना मिली तो कयामत कर लूँगा अपना
तेरे बगैर इस शापित दुनिया का क्या करुँगा मैं-