तुम शौक़ के इतने शौक़ीन हो जाना,,
जब शोक हो तो इन से नदीम हो जाना,,,
कोई सुखनवर नहीं मिलेगा गमों के सैलाबों में,,
जब आए ग़म तो शौक़ तुम मोहसीन हो जाना,,,
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तुम चाहो तो सब मुमकिन है,
तुम से रोशन मेरा दिन है.!
तुम से ही हैं सारी खुशियां,
कैसा जीवन तेरे बिन है..?
तुमसे ही चलती हैं अब तो,
वरना सांसें नामुमकिन हैं..!
कायम तुझसे दम में दम है,
स्वतंत्र मेरा तू ही मोहसिन है.!
प्यास बुझे तुम से सदियों की,
तू बारिश है तू रिमझिम है..!
सिद्धार्थ मिश्र-
दुआएं ही अब इलाज है मोहसीन मेरा...।
हकीम-ए-इश्क़ ने कहा है रोग लाइलाज है तेरा...।।
📝AFसर©️
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यह ठंडी सी धूप महका रही अब जीवन को
पहले जो जलाया करती थी अपने उग्र रूप से
happy winter-
ख़ुदा ने सब्र करने की मुझे तौफ़ीक़ बख़्शी है
अरे जी भर के तड़पाओ शिकायत कौन करता है
किसी के दिल के ज़ख़्मों पर मरहम रखना ज़रूरी है
मगर इस दौर में मोहसीन ये ज़हमत कौन करता है-
किसी आरी की धार से कम भी तो नहीं ये दौर
वबा का; न जाने कितने मोहसीनों ने खुदगर्ज़ होकर,
अपने हाथ कटवा दिए इसमें।-
चलो मोहसिन मोहब्बत की एक नई शुरूआत करते हैं
खुद को पाबंद रखते हैं और उनको आजाद करते हैं ।।-
निभाने को तो हम भी
निभा लेते तुमसे यारी,,
मगर क्या करते
आपको हमारी दोस्ती से
ज्यादा थी दुनिया
की रीत प्यारी,,-