आज पुरानी राहों से, चलने लगा हूँ। छुटा हुआ पिछे, ढुँढने लगा हूँ। अपने जो राहों से भटके थे, उने फिर राह पर लाने लगा हूँ। मंजिल पाने के लिए छुटे हुए, हाथो को पकडने लगा हूँ। जाने अनजाने मे टुटे हुए, दिलो को मनाने लगा हूँ। (पुरी कविता अनुशिर्षक मे पढियें)
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Fetching #मोहब्बत Quotes
Seems there are no posts with this hashtag. Come back a little later and find out.