लाख सुना हो तू ने की हम पत्थर दिल हैं सनम
घड़ी भर को आगोश में आने दे, पिघल जाएंगे-
कांच के बाहर की परत
मुझ जैसी है।
बूंद जैसी तुम
छूकर गुजरती रहती हो।
न तुम रुकती हो,
न मेरा मन भरता है।-
सोचता हूं कि दरमियान अपने, ऐसा भी क्या रह गया
कि मुसलसल गले लगकर भी तुझसे, मैं तन्हा रह गया।-
उम्र की ये दुश्वारियां तो रोज़ बढ़ती जाएँगी
वक्त रहते ही मोहब्बत कर गुज़रना चाहिए
जंग न लग जाये यारों इस दिल ए नादान को
रंगो- रोगन इश्क का थोड़ा तो चढ़ना चाहिए
उम्र निकली जा रही है फ़ाक़ा मस्ती में यूँ ही
इश्क में पड़कर किसी के काम आना चाहिए
एक दिन मर जायेगा गुमनाम सा ही तू यहां
नाम तेरा भी जुबां पर लोगों के आना चाहिए
है जवां वो ही के यारों इश्क जिसने कर लिया
रोग ये लग जाये तो, न फिर मुकरना चाहिए
वो हसीं मिल जाएगा तुझको ज़रूरी तो नहीं
हर हसीं चेहरे पर थोड़ा थोड़ा मरना चाहिए-
फिलहाल मोहब्बत करो
बेवफाई की बातें हम बाद में कर लेंगे,
जिसके क़दम पहले डगमगाए
उसे हम बेवफा कह देंगे।-
दीवारें बोल सकतीं
तो कहतीं
रक़ीब मानकर
जिनकी करते हो बुत परस्ती
उस मोहब्बत के लिए
वो रहीं उम्र भर सिसकती.-
I Want to be Your second priority.💑
Your family should be
Your first priority. 👨👩👧-
ताउम्र साथ निभाने की वो कसमे दो पल में टूट जाती है
मोहब्बत से बने इन रिश्तों में आखिर कमी कहाँ रह जाती है
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आज पुरानी राहों से,
चलने लगा हूँ।
छुटा हुआ पिछे,
ढुँढने लगा हूँ।
अपने जो राहों से भटके थे,
उने फिर राह पर लाने लगा हूँ।
मंजिल पाने के लिए छुटे हुए,
हाथो को पकडने लगा हूँ।
जाने अनजाने मे टुटे हुए,
दिलो को मनाने लगा हूँ।
(पुरी कविता अनुशिर्षक मे पढियें)-