चुनाव होगा जब
मोक्ष और माया में
मैं तब तुमको चुनूंँगी...
नश्वर वासनाएँ मिट जाएँगी,
और जी उठेगा अमरत्व,
तब फिर माँगूँगी मैं
कोई रूप, कोईजीवन
केवल एक तुम पर मरने के लिए...
लौटूंगी वैसे ही तुम तक
धूप, बारिश और बसंत बनकर,
फिर तुम्हारे हाथों मिटने के लिए...
एक और बार तुम स्वार्थ चुनना,
एक और बार आऊँगी मैं,
केवल प्रेम चुनने के लिए!
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