QUOTES ON #मोक्ष

#मोक्ष quotes

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शौर्य दो माँ ज्ञान दो माँ,
स्नेह का वरदान दो माँ..!

दो अमिट प्रतिमान दो माँ,
प्रेम का विज्ञान दो माँ..!

कष्ट और व्याधि हरो माँ,
शांति दो विश्राम दो माँ..!

यश हो जीवन में स्वतंत्र के,
दो यही वरदान दो माँ..!

दो मुक्ति इस आवागमन से,
मोक्ष का तुम धाम दो माँ..!

भगवती सुन लो मेरी भी,
दो अभय का दान दो माँ..!

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30 OCT 2020 AT 18:59

*चिता*
धुं धूं करके जला रही हैं
मोक्ष की अग्नि दहक रही हैं
कुछ आंसू गिरे पर बुझा ना सके
चिता की आग को।

*तृप्ति*
दुखो को हर रही हैं
अग्नि तृप्ति दे रही हैं।

*शमन*
कामनाओं को मिटा रही है।
अब अग्नि इन्द्रियों को बुझा रही हैं
जो जीतेजी जतन किए पर बुझा ना सके
इन्द्रियों की प्यास को।

*मुक्ति*
अग्नि अस्तित्व मिटा रही हैं
माटी को माटी में मिला रही है।

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24 APR 2020 AT 19:22

कविताओं को
भावों की गंगा में प्रवाहित कर
कविओं को मोक्ष मिलता होगा!

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23 MAY 2021 AT 23:47

तुम मोह भी
तुम मोक्ष भी
तुम सृष्टि हो
तुम दृष्टि भी
तुम हो निराकार
तुम ही सर्वदा साकार भी
तुम धीर हो गंभीर हो
तुम ही धरा पर नीर भी
तुम मोह हो
तुम मोक्ष भी
तुम सुखन के किल्लोल हो
तुम ही रूदन का चित्कार भी
तुम सृजन की नींव हो
तुम अंत का संहार भी
प्राण की विलासिता भी
तुम देंह के हो दीनता भी
तुम मोह भी
तुम मोक्ष भी
तुम कृत्य भी
तुम नृत्य भी
तुम धूरी धरा भी
तुम ही गगन गंभीर भी
तुम क्षितिज के इस पार हो
तुम ही क्षितिज के उस पार भी
तुम मोह भी
तुम मोक्ष भी ....।।

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18 MAY 2021 AT 6:32

उस परमेश्वर की तुलना करना बड़ा अशोभनीय लगता है,

जो निराकार, निर्गुण और सर्वगुण सम्पन्न है!

उसको शब्दों में कैसे विभाजित किया जा सकता है......
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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21 DEC 2020 AT 18:19

चुनाव होगा जब
मोक्ष और माया में
मैं तब तुमको चुनूंँगी...

नश्वर वासनाएँ मिट जाएँगी,
और जी उठेगा अमरत्व,
तब फिर माँगूँगी मैं
कोई रूप, कोईजीवन
केवल एक तुम पर मरने के लिए...

लौटूंगी वैसे ही तुम तक
धूप, बारिश और बसंत बनकर,
फिर तुम्हारे हाथों मिटने के लिए...

एक और बार तुम स्वार्थ चुनना,
एक और बार आऊँगी मैं,
केवल प्रेम चुनने के लिए!

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30 OCT 2024 AT 7:16

बिन तेरे क्षण-क्षण अवसान होती जा रही है मेरी ये जिंदगी
तनिक ठहरो तुम .....
समाप्ति से पहले ,प्रेम में मुझे मोक्ष प्राप्त कर जाने दो ज़रा

परित्यक्त होती जा रही हृदय की प्रेम धमनियों की गलियां
तनिक ठहरो तुम......
व्यग्र,ध्वस्त हृदय को प्रेम में विह्वल हो के ढह जाने दो ज़रा

विरह के तटबंध पर अटकी मेरी उखड़ती अनियंत्रित सांसे
तनिक ठहरो तुम......
अप्रतिहत अश्रु_ धारा प्रेम में अविच्छिन्न बह जाने दो ज़रा

स्मृतियों पर आच्छादित होती जा रही है, समय के रजकण
तनिक ठहरो तुम.......
वापसी ना होगी इस जन्म में ,प्रेम में बागी हो जाने दो ज़रा

अनछुआ हृदय पर चक्षु के खेल में छिड़ गया नाजुक समर
तनिक ठहरो तुम.......
बाबली हूँ मैं प्रेम में, वीरांगना बन वीरगति पा जाने दो ज़रा

कैद हूँ काया के निर्मम ,निर्जन पिंजरे में सहस्त्र सदियों से
तनिक ठहरो तुम.....
रिहाई ना होगी तुमसे मिलन बिन,रूह में घुल जाने दो ज़रा

रंच मात्र भी रंज नहीं ज़ार-ज़ार रोती हूँ प्रेम पिघलती पीर में
तनिक ठहरो तुम......
रफ़ू हो जाने दो ,प्रेम के विच्छेद आवरण की झिरियों को ज़रा

निर्बाध रूप से हिलोरे लेता है मेरा मन , अतीत जज्बातों में
तनिक ठहरो तुम.....
नहीं बर्दाश्त स्मृतियों में जीना,यादाश्त छिन तो जाने दो ज़रा

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11 OCT 2018 AT 12:28

निशुम्भ-शुम्भहरिणी,महिषासुर मर्दनी
शक्ति का अवतार तु ,माँ जगत -जननी|

दिव्य आयुध सुशोभित तु है अविनाशी
नव रूपों में पूजित ,संसार -बंधन विमोचनी|

आदि भी तु अनादि भी तु ,तु है भय हारिणी
सिंह की सवारी करे ,हे पर्वत -वासिनी|

भक्तों की रक्षा करे हे माँ स्नेह -प्रदायिनी
शरणागत का मान रखे ,तु हे माँ नारायणी |

सर्वासुरविनाशा और तु सर्वदानवघातिनी
धन्य -धन्य है तेरा नाम, तु है मोक्षप्रदायिनी|

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20 JUL 2022 AT 12:55

मौन-प्रेम

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23 APR 2020 AT 7:50

जीवन जब ढाई आखर में सिमट जाता है
तब मर्त्यलोक पर ही मोक्ष उतर आता है

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