----माँ-----
हमें फिर से गोद मे उठा लो ना माँ,
अब हमसे चला नही जाता इस गंदे संसार मे।
मुझे अपने सीने से लगा लो ना माँ,
बहुत रुलाया है दुनियाँ ने तेरे इस लाल को
(-पूरी कविता पड़ने के लिए कैपसंन को पढ़े-)
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गुमसुम रात बनकर तलाश रही हैं आपकी आहटl
कोरे कागज में
इन चाहतों के अल्फाज ढूंढ रहे हैं मासूम कई शब्दl
बेबस आरजू
चिट्ठी लिखती है रोज बीते लम्हों के ठिकाने परl
तन्हा समय
गुजारिश कर रही है किसी अपने कीl-
मेरा दिल कोई महंगे तोहफे नहीं तुम्हारा वक्त चाहता है
मेरा दिल झूठी मरम्मत नहीं तुम्हारा सोहबत चाहता है
कभी ख्वाहिश नहीं की किसी और की
मेरा दिल कुछ और नहीं सिर्फ तुम्हारा प्यार चाहता है
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अगर मतलब निकाल गया हो तो
तुम्हारी वो झूठी दिखावे की प्यार
जो आपने दिल मे दवाके रखे हो
वो भी बापस कर दो-
मेरा दिल मेरी मां के लिए
कैसे तूने कोख़ में मुझको, नौ माह पेट में रखा था
सहा था हर दर्द तूने, कितना परहेज तूने चखा था
भूल बैठी थी ख़ुद को तू, जब संवारती मुझको थी
अपनी चमक को छोड़, नज़र उतारती मुझको थी
जब जब रोता ये दिल मेरा, तूने गले से लगाया हैं
डांट लगा कर मुझको, प्यार सिर्फ तूने जताया हैं
क्यों ना कहूं मां तुझसे, आशियाना का शोक नहीं
तेरे कदमों में है जन्नत मेरी, मेरा दिल है बस वहीं
सिखाया है तूने सबकुछ प्यार का पाठ तूने पढ़ाया
ख़ुदा तो दूसरा रूप है मां, पहला रूप में तुझे पाया
कैसे तूने कोख़ में मुझको, नौ माह पेट में रखा था
सहा था हर दर्द तूने, कितना परहेज तूने चखा था-
या फिर से उसमें प्यार भर दो
खत्म हो रहे इस अफ़साने में
फिर से नयी इक जान भर दो
मुद्दतों से जो है हुआ न कभी
इश्क़ की ऐसी शुरुआत करदो
जानेमन हो हमारी जान आप
अब वापस न हमें अंजान करदो
आपके नाम करा है दिल हमनें
आप कहते हो कराया भर दो||-
धड़कता हैं तेरी खातिर,💓
दीदार सनम तेरा कैसे करें..
तेरी गलियों में पहरा ज़ोरो पर..😕
इज़हार करें तो कैसे करें...-
तेरा दिल हो
ध ड़ क ता
मु झ में हैं
म ग र या द
तु झ को
क र ता है-