#3 Line Special...1️⃣3️⃣
सरकारी मुलाज़िमों के अलग ही चर्चे है।
और जेब रखते हो तुम जितना ,
उसे मंहगे आजकल ,उनके चाय के खर्चे है।
🦋Insta - dhiraj.musafir
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मुलाज़िम हूँ इन राहों का
मेहनत का मेरे कोई सिला नहीं
उजालों से उम्मीद मुझे
अँधेरों से भी कोई गिला नहीं
हज़ारों कस्बे गुज़र गए
मुझे मील का पत्थर मिला नहीं
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ख़ुद को तू इतना भी फ़लातून ना बना
मुझको लिफ़ाफ़े का मजमून ना बना
फ़ाइलों के ढेर में उलझा के ज़िन्दगी
मुलाज़िम को तू अब मज़लूम ना बना
-सरिता मलिक बेरवाल-
# मुलाज़िम
मुलाजिम है जिंदगी के साहब
उसके इशारे पर जिए जा रहे हैं
जब तक ना आए मौत कमबख्त
खुद अपने जख्मों को सिये जा रहे हैं-
ग़म-ए-रंजिश का इलज़ाम बनने को वो आयी है ।
तपन से चूर तलाश ए शाम बनने को वो आयी है ।
अधूरी मोहब्बत का पूरा पैगाम बनने को वो आयी है ।
आज मत उठाओ ,मुद्दतों बाद सपनो में वो आयी है ।-
वो आँखों पर हुकुमपरस्ती का,
काला चश्मा चढ़ाए बैठा है।
मुलाज़िम है वो उस हाक़िम का,
जो सबको फँसाये बैठा है।।-
"मुलाज़िमो की सुबह"😊
कितनी मुश्किल लगती है,अब आजकल की ये सुबह
सोचना पड़ता है रोज़,आख़िर पुरा दिन कैसे गुज़रेगा अब आज..!
माथे पर बल आ जाता है, रोज़ सुबह होते ही यहाँ पर
कितने सवालात का सामना पड़ेगा, आख़िर क्या होगा आज..!
सुबह होते ही फोन बज उठता, आख़िर क़ब आना है
रोज़ निकलते है दफ्तऱ क़ो,मसअले बहुत है हल कैसे ही आज..!
मुलाज़िम का आजकल इक़ जगह ठिकाना नहीं रहता है
आख़िर किसका घर जला, घटना हुयी, सब देखना है उसे आज..!
आख़िर अपने परिक्षेत्र में, कबका गये हो तुम वहाँ पर
सबका हिसाब लेने वाले लोग,देखो सबके ऊपर है बैठे है आज..!
असीमित आज़ादी इंसान क़ो निरंकुश,नक्कारा करतीं है
सभी क़ो काबू करने क़े इंतेज़ामत है,देखो नियम दिखते है आज..!
जिम्मेदारियों से आख़िर कौन भागता है आजकल यहाँ पे
सलीके से ज़िन्दगी पेश नहीं आती है,देखो कितना तनाव है आज..!!
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