Shreyansh Gaurav   (Shreyansh Gaurav ✍🏻)
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Joined 11 August 2022


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4 HOURS AGO

"साहस होना चाहिये"✍🏻🌼

जेहन में इतनी बेचैनियाँ है, सलीके से कुछ दिखता नहीं है यहाँ पर अभी
किसी ने कहा साहस होना चाहिये, क्या किसी की हकीकत कोई जान पाया कभी..!

ये लहज़ा, ये जुबां, ये बयां, अपने हिसाब से बचाकर जाहिर करता है वो
सिर्फ़ इक़ मुहब्बत,आवारागी से आगे भी दुनियाँ है मोहतरम,कौन जानता है अभी..!

जीने ख़ातिर कितनी ज़द-ओ-ज़हद किया है उसने, इस ज़माने में यहाँ पर
उसकी तस्दीक करना आपके वश का नहीं है, उसे कोई अभी भी जानता ही नहीं..!

उदासियाँ देखकर अंदाज़े लगाते हो आजकल, उसने लड़ना ही छोड़ दिया
हर कदम पर मिटाने वाले खड़े मिले उसके अपने, आख़िर वो कैसे जीता है अभी..!

ज़िन्दगी की दुश्वारियों क़ो कहाँ उसने सर-ए-आम ज़ाहिर किया है ज़माने में
मुहब्बत का आसरा उसको लौटा लाया था ज़िन्दगी में, वो तो ज़िन्दा नहीं है अभी..!

अपने साहस क़े बल पर ही, उसने इक़ पड़ाव पार किया है इस ज़िन्दगी में ही
इतना ही कुछ क़े ख़ातिर मक़ाम है इस ज़िन्दगी का, देखिये इसे वो मनाता ही नहीं..!

उसकी निगाह बुलंदियों पर रही, हमसफ़र क़े साथ हासिल दिखा उसको यहाँ
बचपन से तन्हा सफ़र किया है उसने ज़िन्दगी में, हकीकत कौन जान पाया अभी..!

कमजर्फ़,खुदगर्ज़, समझने की भूल ना करें,ज़िन्दगी से लडता आया है यहाँ वो
उसने इतनी तबाही क़े बाद किरदार सलामत रखा है अपना, तु उसे अभी जानता नहीं..!!

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6 HOURS AGO

"संगठन"🌼✍🏻

सिर्फ़ जोश में बिना तर्क की बातें करना, ठीक नहीं है
आख़िर कहाँ से सीख कर निकले हो..!
बिना तर्क की बातें करना, तुम्हारा वज़ूद हल्का करता है
साहिब यहाँ पर अभी
हकीकत में इस ज़माने क़ो तुम, नहीं जानते हो..!

आज जोश से संगठन चला सकते हो,
विचार धारा एकदम तल्ख़
रख सकते हो,
बदज़ुबानी भी कर लेते हो,
यही सब सम्भव है इससे ज़माने में यहाँ पर अभी..!

राजनीती की बात जोश में सिर्फ़ करना अज़ीब है
सलीके से पेश आओ
सभी क़े सामने, आज की दुनियाँ में
दिल क़े अंदर घुस कर
मार सकती है
राजनीति तुमको, क्या इसको महसूस कर सकते हो..!
अभी बहुत हल्के हो साहिब, संगठन क़े लिये क़ाम
करों, वक़्त लगेगा अभी तुमको यहाँ पर,
राजनीति इतनी आसान
नहीं है साहिब, संगठन चलाना
काबिलियत है, मानता है जहाँ आज भी..!

राज़निती क़ब पाला बदल दें, ज़माने में आज भी
आँख भले ही ख़ुली रखो तुम
इसको आभास नहीं कर सकते हो..!!

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7 HOURS AGO

"अज़ीब सी मुहब्बत है"🌼✍🏻

मुहब्बतों में महबूब का धुंधला चेहरा भी, सबसे खूबसूरत लगता है
देखो उसके सलीके, उसके टक़्कर का आज भी, ज़माने में कौन दिखता है..!

हाँ ये बात अलग है की ज़िन्दगी की राहे, ज़ुदा हो गयीं है आज उनसे
उनकी सलामती क़े ख़ातिर उनसे दूर है अभी, ये सच में उसको भी पता है..!

दूरियां क़ब किसी महबूब क़ो मुहब्बत में दूर कर पायी है इस ज़माने में
ताउम्र सुरज़ और धरा क़े मुनाफिक़ जुड़े है लोग, इनको दूर कौन करता है..!

सफ़र अपने अपने रहगुज़र पर, चलने क़ो मज़बूर दिखता है यहाँ पर ये
नज़दीकियां दुनियाँ में तूफ़ा ला सकती है, ये बातें इन दोनों क़ो अभी पता है..!

दूर होकर भी इक़ दूसरे की फ़िक्र दिखती है, ज़माने में अभी भी यहाँ
इक़ दूसरे की सलामती खतिर दूर हो गये है, रिश्ते इनके कौन तोड़ पाता है..!

धरती व सुरज़ क़े बीच में इक़ खूबसूरत सा चाँद आ गया है, मज़बूर है ये
इसको सलामत रखने की जिम्मेदारी है इनकी, इसी से दुनियाँ का वज़ूद बचा है..!

मुहब्बत में नाराज़गी बहुत देर तलक सलामत नहीं है साहिब अभी यहाँ
इक़ दूसरे पर दोनों की नज़र है आज भी यहाँ, इस हकीकत क़ो कौन जानता है..!

वफ़ाये तो निभा रहें है ज़िन्दगी से, मुहब्बत में साथ साथ नहीं रह सकें ये
ज़माने की नज़र लग गयीं इनकी खुशियों क़ो, ये क्षुद्र ग्रहो की बीच में दिखता है..!!

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8 HOURS AGO

"आख़िर इन दूरियों का फ़र्क किसे है"🌼✍🏻🌞

बदलाव भी अब चाहने से कहाँ हो पाता है,
देखो वही रुक सा गया है इंसान
वो सुरज़ की तरह जोड़ रखा है उसने,
ये धरती इसके घेरे से,ज़िन्दा बाहर नहीं जा सकती है..!
इसे मिटना होगा
ख़ुद क़े अस्तित्व से इस जहाँ में..!
ये मिटना और ख़ुद क़ो जोड़े रखना
भी इसकी ख़ुद की मर्ज़ी से नहीं है सलामत..!
सुरज़ की रज़ामंदी
बहुत जरूरी है
इस धरा क़े ख़ातिर,
इसको सामने से सुरज़ की तपिश
सहना है बेशुमार
फ़िर इसे जलते जलाते, सुरज़ में ही
ख़ुद क़ो महफूज़ देखती है..!
जलते है उसके तपिश से आज भी
उसका होना ही
बहुत है ज़िन्दगी में अभी देखिये
दूर होकर भी उसी क़े उजाले से हम यहाँ पर
अभी भी प्रकाशवान है..!
ये तय है की इक़ दिन वो भी बुझ
जायेगा हम भी मिट जायेंगे..!
जितना हासिल है
अभी उसके साथ साथ दूरियों क़ा
उसके साथ ही अपना
वज़ूद दिखता है..!!

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17 HOURS AGO

ज़िन्दगी की खूबसूरत हकीकत की, आभासी छायाप्रति ही तो ख़्वाब है..!!

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21 HOURS AGO

शौक अपने ज़िन्दा रखो ज़िन्दगी में, आजकल कौन रोकता है तुमको
सर-ए-आम शराफ़त से पेश आता है इंसान, अकेले में जैसे जानता ही नहीं है..!

आख़िर ऐसे बोझिल रिश्ते क़ो ढोने की जुर्रत इंसान करता है आजकल
सलामत कहाँ रख पाया इसने ज़िन्दगी क़े सफ़र क़ो, ऐसा तो दिखता नहीं है..!!

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22 HOURS AGO

गुस्ताख़ियां और गुनाह में अंतर दिखता है, कौन नहीं जानता है
इक़ अनजानी करतूत है इंसान की, दूसरा तो यहाँ पर साज़िश से होता है..!

गुस्ताख़ियो क़ो मुआफ़ करना बनता है इंसान का इस ज़माने में
गुनहगारों की सज़ा मुक़्करर है साहिब, देखो ये तो वक़्त पर ही मिलता है..!!😊

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22 HOURS AGO

सफ़र की बात अब कौन करें, सभी क़ो कहीं न कहीं पहुंचना ही है
अभी इतने इंसान बदलने की जरूरत नहीं दिखती है, लोग क्या क्या करते है..!

सलीके से संभल कर चलना जरूरी दिखता है, आजकल यहाँ पर भी
फिसलने पर मज़ाक उड़ाते है लोग आजकल, देखो अब कौन संभालते है..!!😊

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22 HOURS AGO

बहुत किस्से मशहूर है तुम्हारे ज़माने में, सभी तुमको यहाँ पर जानते है
मुख़ातिब होने में नज़रें झुकी हुयी है, आख़िर अब कौन सा क़ाम करते है..!!😊

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YESTERDAY AT 5:02

"ग्रहण कहाँ नहीं लगाये हो"✍🏻🌼🌜

जितना आज इस ग्रहण की फ़िक्र है तुमको,
इस ज़िन्दगी में
आख़िर क्या क्या नहीं करते हो
सबकुछ वक़्त क़े हिसाब में करने की चाहत है
आज वक़्त क़े पाबंद दिखते हो..!
मुझे हैरत होती है इस दुनियाँ क़ो देखकर यहाँ पर
जिस वालिदैन ने परवरिश कर
तुमको
ये दुनियाँ दिखायी है,उनकी फ़िक्र नहीं है आज..!
उनके ख़ातिर इक़ अलग से
कमरा बनवा रखें हो तुम
देखो इन रिश्तों क़ो
कहाँ ग्रहण से आजकल बचाते हो..!
दुनियाँ की रौनक़ देखकर
उनको पहचानने से
मना करतीं है आजकल की ये औलादें यहाँ पर..!
ये तो दया क़े पात्र भी नहीं
लगते है हमको यहाँ
देखो ये ख़ुद क़ो ग्रहण से बचाते है..!
कितना अज़ीब मंज़र आ रहा है दुनियाँ का सामने
तुमको लगता है कोई नहीं जानता है
गरीबों की गली घूमना
तुम कभी अपनी ज़िन्दगी में यहाँ
उनके यहाँ ग्रहण का प्रभाव नदारद होगा..!
तुम इस ग्रहण से
आजकल बहुत प्रभावित हो..!!😊

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