गुल्शन में फूल खिला है पहली दफ़ा हमें कोई हमसा मिला है पहली दफ़ाआसमाँ की ओर अब नज़र नहीं जातीहमने चाँद-सा चेहरा देखा है पहली दफ़ा -
गुल्शन में फूल खिला है पहली दफ़ा हमें कोई हमसा मिला है पहली दफ़ाआसमाँ की ओर अब नज़र नहीं जातीहमने चाँद-सा चेहरा देखा है पहली दफ़ा
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तेरे लब भले ही कुछ न कहे मुझसेतेरे होठों का तिल लगातार मेरे लब चूमता है -
तेरे लब भले ही कुछ न कहे मुझसेतेरे होठों का तिल लगातार मेरे लब चूमता है
इशारे कुछ आपको भी करने पड़ेंगे मोहतरमाबस मेरे इशारों पर मुस्कुराने को इश्क़ नहीं कहते -
इशारे कुछ आपको भी करने पड़ेंगे मोहतरमाबस मेरे इशारों पर मुस्कुराने को इश्क़ नहीं कहते
अपने दिल पर तेरा कोई ज़ोर नहीं थामेरे दिल के रस्ते में कोई मोड़ नहीं थाकुछ इस कदर तू मिलने आया मुझसे भीड़ थी बहुत मगर कोई शोर नहीं था तेरी ही आँखों ने तीर चलाया होगाज़हर ऐसा फैला जिसका तोड़ नहीं थामाना के 'बेवफ़ा' लफ़्ज़ कहा था मैंने पर बा-ख़ुदा इशारा तेरी ओर नहीं था -
अपने दिल पर तेरा कोई ज़ोर नहीं थामेरे दिल के रस्ते में कोई मोड़ नहीं थाकुछ इस कदर तू मिलने आया मुझसे भीड़ थी बहुत मगर कोई शोर नहीं था तेरी ही आँखों ने तीर चलाया होगाज़हर ऐसा फैला जिसका तोड़ नहीं थामाना के 'बेवफ़ा' लफ़्ज़ कहा था मैंने पर बा-ख़ुदा इशारा तेरी ओर नहीं था
कल शब आँखें खुलीं तो आग की लपटें देखी हमनेनींद इस कदर हावी थी कि चादर ताना और दोबारा सो गए -
कल शब आँखें खुलीं तो आग की लपटें देखी हमनेनींद इस कदर हावी थी कि चादर ताना और दोबारा सो गए
तन्हाइयों का अपनी हिसाब रख लेनाआँखों पर नींद नहीं मेरे ख्वाब रख लेना...याद तुझे सताए जब भी मेरे होठों कीअपने होठों पर हौले से गुलाब रख लेना... -
तन्हाइयों का अपनी हिसाब रख लेनाआँखों पर नींद नहीं मेरे ख्वाब रख लेना...याद तुझे सताए जब भी मेरे होठों कीअपने होठों पर हौले से गुलाब रख लेना...
खूबसूरत फिर से संसार न होगापहला इश्क़ बार बार न होगाघंटों की आवारगी कसूरवार होगीएक भी लम्हा ज़िम्मेदार न होगाचूमने को माथा आगे तो करोहोठों से हमारे इनकार न होगाबात आख़िरी रेशे तक तो आ गईअब ये धागा तार तार न होगामिलेंगें कई लोग सफ़र की जानिबऐसा प्यार हमें हर बार न होगालहरों को मंज़िल माना है इसनेकश्ती से अब दरिया पार न होगा -
खूबसूरत फिर से संसार न होगापहला इश्क़ बार बार न होगाघंटों की आवारगी कसूरवार होगीएक भी लम्हा ज़िम्मेदार न होगाचूमने को माथा आगे तो करोहोठों से हमारे इनकार न होगाबात आख़िरी रेशे तक तो आ गईअब ये धागा तार तार न होगामिलेंगें कई लोग सफ़र की जानिबऐसा प्यार हमें हर बार न होगालहरों को मंज़िल माना है इसनेकश्ती से अब दरिया पार न होगा
लाखों की भीड़ में अव्वल दिखना चाहता हूँअधूरे किस्से को मुकम्मल लिखना चाहता हूँकोई काम न हो तो आओ ना ख़्वाबों में आज तुमपर कोई ग़ज़ल लिखना चाहता हूँ -
लाखों की भीड़ में अव्वल दिखना चाहता हूँअधूरे किस्से को मुकम्मल लिखना चाहता हूँकोई काम न हो तो आओ ना ख़्वाबों में आज तुमपर कोई ग़ज़ल लिखना चाहता हूँ
इलज़ाम सारे लगाए गए नदी पेएक सैलाब आया था कल ज़मीं पेझुलस गए थे शजर यूँ ही खड़े खड़ेउन्हें भिगोने की तोहमत लगी नमी पेइंसाफ़ ज़रूरी है हाकिम पर ये क्या बात हुईक़त्ल भी हमारा और मुकदमा भी हमीं पे -
इलज़ाम सारे लगाए गए नदी पेएक सैलाब आया था कल ज़मीं पेझुलस गए थे शजर यूँ ही खड़े खड़ेउन्हें भिगोने की तोहमत लगी नमी पेइंसाफ़ ज़रूरी है हाकिम पर ये क्या बात हुईक़त्ल भी हमारा और मुकदमा भी हमीं पे
उम्मीदों को आँखों से रिसते देखा हैहमने चराग़ों को पत्थर घिसते देखा है -
उम्मीदों को आँखों से रिसते देखा हैहमने चराग़ों को पत्थर घिसते देखा है