मिले ना मिले।
जिदगी_ तेरा _ऐ _किरदार _कल शायद
मिले ना मिले । मिला _लो_ हाथो _से _हाथ कल शायद
मिले ना मिले।
मत रूठो दोस्तो से यार दोस्त कल शायद
मिले ना मिले। जिलो _आज_ को यार आजके पल कल
शायद मिले ना मिले।
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दुआ है के हमारी फिर से मुलाकात हो।
लेकिन इस बार मेरे नहीं, उसके ख्वाब में।-
तुम्हारा यूं मुझे देखना बेहिसाब बेक़रारी जगाता है,
कुछ अनछुआ, कुछ अनकहा सा पल,
मेरे दिल को खामोशी से धड़कता हैं..!!-
वो वजह पूछता रह गया
ओर हम वजह छिपाते रह गए
यही अंत था उस कहानी का
जिसके सपने देखने वो सोता रहा
ओर हम उन सपनों से
बचने के लिये खुदको जगाते रहे-
कि मुद्दतों बाद वो टकराया एक शख्स से,
न नाम है ,ना कोई पता इश्क़ करें भी तो करें किस हक़ से
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दिल से पुकारा था, आँखों से भी बुलाया था,
पर दूंगा आज आवाज...फिर देखा जाएगा!
आया था कई बार तेरे दर पर बिना आहट के,
दूंगा दिल पर दस्तक अब...फिर देखा जाएगा!
कितनी ही स्याही जाया की रंगीन कागजों पे,
लिखूंगा आज खत तुम्हे...फिर देखा जाएगा
मिलता हूँ रोज तुमसे तेरे ख़्वाबों ख्यालों में,
करूँगा आज मुलाकात..फिर देखा जाएगा!
देखा तुमको जी भर के और देखा चोरी चोरी,
अब होउँगा तुमसे रूबरु...फिर देखा जाएगा!
हिचक अब बहुत हुई, मेरा सब्र हुआ बेसबर,
करूँगा आज ही इजहार...फिर देखा जाएगा!
कुछ बातें है जज़्बाती, कुछ अनकहे अल्फ़ाज़,
लिख दूंगा इक किताब...फिर देखा जाएगा ! _राज सोनी-
वो मुलाकात शाम की,
और बातें तमाम थी।
मैने पूछा जाए कँहा,
उसने मुस्कुराकर 'चाय' कहा।
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मुनासिब तो न था मगर अल्फाज़ नीलाम हो चुके थे,,,
कहने को थे ख़्वाब मेरे पर गुलाम उनके बन चुके थे...
उनसे वो पहली मुलाकात की बात ही कुछ और थी,,,
मानो तो मेरी तलाशती निगाहों पर एक लगाम सी थी!!!-
वो आये और चल दिए....
कैसी मुलाकात थी ये....
न बात हुई, न खामोशी टूटी....
सिर्फ आँखें बोल रहीं थीं.....
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कुछ देर और ठहर जाते........!!!!
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