मिरे अज़ीज़ अगर मुझे संभालना मुश्किल लगे
सियासत का मौज़ू छेड़ देना मेरी उतर जायेगी
मुझे फिक्र होती है ऐ अहल ए सियासत तुम्हारी
क्या करोगे जब मेरे घर की लड़ाई ठहर जाएगी
सरसरी तौर पर पढ़ो ये ग़ज़ल और आगे बढ़ो
समझने बैठे तो इसी वरक़ पे एक उमर जायेगी
सिकंदर के खाली हाथ दे रहे हैं सदा कब्र से
जंग नहीं दिल जीतो तुम आखेरत सँवर जायेगी
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Shaair/Poet. Storyteller.
Insta : @iamshoaibfirozi
अच्छा लगेगा गर कभी आशना समझ के तूम मेरा हाथ थाम लो,
वरना अजनबी की तरह तो मेरे साथ-साथ चाँद भी चलता है।-
Three best friends
One hostel room
One last bench
One music band
One second-hand bike
One swag denim
One plate maggi
One final interview
One offer letter
Three different companies.
Three different cities
Three different offices
Three different cabins
Three different laptops
Three different accounts
Three facebook friends.
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बेतुके से ख़याल हैं ज़हन में
जाने कितने सवाल हैं मन में
एक ऐसी कोई जगह ज़मीं पर
या ख़ुदा का कोई निशाँ कहीं पर
ढूंढता हूँ जहाँ मुझे मिल सके
उलझनों का मुझे मेरे हल मिले
उस जगह से जहाँ दिखाई दे
वो निशाँ जो मुझे बताये के
इस जहाँ में वो भी इसी दौर में
मेरे होने की क्या वजह होगी?-
Father's love is like a writer's job
It will remain forever underrated
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मेरी माँ मुझ से एक अरसे से
एक तरफ़ा मुहब्बत में है
Meri maa'n mujhse ek arsey se
Ek tarfa muhabbat mein hai-
इक सिफ़त वो माँ वाली
बहनों पास होवे है
वो हँसी मेरी जाने
कब उदास होवे है
Ik sifat wo maa'n vaali
behno'n paas hove hai
Vo hansi meri jaane
Kab udaas hove hai-
अगर वो मय पिलाये तो गुनह से भी बचाये वो
कि उस लड़की से कह दो ये कि धोके से पिलाये वो
Agar wo may pilaye to gunah se bhi bachaaye wo
Ki us ladki se kah do ye ki dhoke se pilaaye wo-