इक सिफ़त वो माँ वाली
बहनों पास होवे है
वो हँसी मेरी जाने
कब उदास होवे है
Ik sifat wo maa'n vaali
behno'n paas hove hai
Vo hansi meri jaane
Kab udaas hove hai-
Shaair/Poet. Storyteller.
Insta : @iamshoaibfirozi
अगर वो मय पिलाये तो गुनह से भी बचाये वो
कि उस लड़की से कह दो ये कि धोके से पिलाये वो
Agar wo may pilaye to gunah se bhi bachaaye wo
Ki us ladki se kah do ye ki dhoke se pilaaye wo-
तुम सोचते हो उतना भी अच्छा नहीं हूँ मैं
दिल मत लगाना मुझ से किसी का नहीं हूँ मैं
Tum sochte ho utna bhi achha nahi'n hoon main
Dil mat lagaana mujhse kisi ka nahi'n hoon main-
Bazm mein har kisi ko rula deta hoon
Jab kahani main khudki suna deta hoon
Khwaab se mera rishta abhi aisa hai
Sone se pehle usko sula deta hoon
Haal par mere mujhko taras aata hai
Jab bhikari ko dar se bhaga deta hoon
-
फ़िरक़ा परस्ती तो देखो, ज़कात भी देते हैं फ़िरक़ा देखकर
जुम्मा ब जुम्मा पढ़ते हैं नमाज़, ईमाम का शिजरा देखकर
मैं चाहता हूँ अपने चेहरे पे वैसी खुशी लाना बारहां
जो बाप के रुख़ पे आती है बेटे की पेहली तनख्वा देखकर
नीन्द उसी के जैसी माँगता हूँ मैं खाट पर जब देखूं उसे
वो ख्वाब देखे मेरी ज़िंदगी के, मुझमें नजाने क्या देखकर
वो यारियाँ मेरा कॉलेज मस्का बन चाय पूना की हर गली,
मैं याद करता हूँ सूरत में रोज़ पुतला शिवाजी का देखकर
तुम लौटकर ना आजाना कि इश्क़ होने लगा है तन्हाई से
मैंने गुज़ारी कल वो रात हिज्र की, एक ही तारा देखकर
कमबख्त बेटामेरा सेलफ़ोन में खेलता है दिनभर क्रिकेट
मैं चाहता था वो रोने लगे किसी मेले में बल्ला देखकर
ये एक ही जुमला क्यों है ज़ुबाँपे सबके मेरी बेहन के लिये
रुख़सत इसे करदो जल्दी से अब कोई अच्छा सा लड़का देखकर
मैंने ग़ज़ल में भी देख ऐ ख़ुदा शिर्क वाली बातें न की
ये सर झुका दिल्ली में भी नहीं असद बैग़ का हुजरा देखकर
~ Shoaib Khan
-
अगला बरस मेरा होगा देख लेना तुम
पिछले दिसंबर भी हम इसी गुमाँ में थे
-