बाँटकर खुशबू पक्का मुरझा जाएंगे
लाल फूल है साहब काले पड़ जाएंगे
हम सी देखरेख कोई विरला ही करेगा
ना की तो खुशियों के लाले पड़ जाएंगे
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ये गुलाब अभी भी ताजा है,
पर वो गुलाब मुरझा गया,
जिसे ये गुलाब दिया गया था।-
एकांत को पिघला कर उसमें व्यस्त रहता हूँ
इन्सान हूँ मुरझा कर भी मस्त रहता हूँ-
रख आया था कुछ सवाल, तेरे दरवाजे पर
मुरझा गये जो, जवाब के इंतजार में
मैंने उसी इंतजार को, जवाब मान लिया।
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तोड़ कर फूलों को बागों से हमने गुलदस्ता बना लिया रहता वो
तीन-चार दिन बागों में कुछ और कि हमने उसे कुछ पल में ही मुरझा दिया-
अंदर
ये मौसम भी कुछ उदासी भरा
महकती थी जो ख़ुशबू से पहले
तन्हा धड़कते अब मुरझाए ज़रा-
उसकी किताब के सफ़्हों में बन्द, गुलाब सा हूँ मैं
मुरझा गया हूँ पर अभी तलक, ज़िन्दा हूँ मैं
- साकेत गर्ग 'सागा'-
आज कल तुम्हारी बाल्कनी में तुम्हारे कपड़े नहीं सूखते
देखो मेरी बाल्कनी का गुलाब भी मुरझा गया है।-
किसी को हद से ज्यादा प्यार करोगे
तो धोखा ही मिलेगा,
क्योंकि ज्यादा पानी डालने से
फ़ूल मुरझा जाते हैं|
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कि मुरझा के जीना पड़े
ख़ुशी को लगे नज़र
और ज़ख्म हो जाए हरे..
धुँधली सी परछाई सब
हर चेहरे पर धूल दिखे
क़रीब होकर भी दूर लगे
बदले नहीं ...पल थम के रहे-