रचना क्रमांक- 3 (मिठास)
भारतीय व्यंजनों में रसरंग अब कहां है,
सुनते सुनते रहते हैं मिठाई की कहानी!
विविध देसी व्यंजन अब पसंद नहीं हैं,
उलझी है चॉकलेट में जीवन की कहानी।
गुड़ सी देसी मिठास का मुकाबला नहीं,
ये बात बताती है हमको हमारी नानी।
कुदरती मिठास सी रिश्तों में हो अगर,
प्यार की मिठास का कोई नहीं है सानी।
Chandrakantajain
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