इतना मासूम है कातिल मेरा,
कि बार बार क़त्ल हो जाने को जी करता है।-
मासूम हूँ इसीलिए ऐसा हूँ
तुम जेसा होता तो यक़ीन मानो बहोत खुश होता-
चेहरे पर पर्दा खूबसूरती का
दिल मे अक्सर छुपे हुए राज़ रखते है।
तुम हो जाओगे दीवाने उनकी बातों के
वो बातों में ऐसी मिठास रखते है।।
पल में उजाड़ देते है दिल की बस्तियों को
वो लोग देखने मे बड़े मासूम लगते है।।।-
और शिकायतें कितनी हैं हमारी,
हम शिकारी बने,
हम ही शिकार हो रहें हैं...
विकास की राह में निकले,
हम ही विकार हो रहें हैं...
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ना जाने क्यू इन आँखो मे नमी महेसुस होती है.
नज़र की सरहदों तक रौशनी महेसुस होती है...
वो एक मासूम सी लड़की मिली थी रेल गाड़ी मे..
सफर जब भी करू उसकी कमी महेसुस होती है..-
बचपन से ही परिवार का बोझ
अपने नाज़ुक कंधों पर उठाते हैं,
हाॅं, ये मासूम कच्ची उम्र में पिता बन
अपना घर-बार चलाते हैं ।।
ख्बावों को जिम्मेदारी के बक्से में बंदकर
बेबसी का ताला लगाते हैं ,
और मासूम हसरतों का गला घोंट
दो जून की रोटी जुटाते हैं।।
फटे कपड़ों में बाप की शराब की गंध लिए
भूखे पेट ही काम पर आ जाते हैं,
पर चीथड़ों से झांकते ज़ख्म के निशान
अधूरे ख्बावों की दास्तान कह जाते हैं।।
शेष कैप्शन में पढ़ें 🙏🙏
.......... निशि..🍁🍁
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कुछ रिश्ते मासूम ही अच्छे लगते है.....
अपनेपन का ढिंढोरा नही पिटते है👍-
धोखा देती है शरीफ चेहरों की चमक, अक्सर हर कांच का टूकड़ा हीरा नहीं होता.!
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