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माँ कहती थी
जब चिड़िया
धूल में नहाती है
तब पानी आता है।
माँ कहती थी
जब धूप में
बारिश होती है
तो चिड़ियों का ब्याह होता है।
माँ अक्सर कहती थी
रात को पेड़ सो जाते है,
फूल पत्तियाँ नही तोड़नी।
माँ ने न जाने कौन से
पाठ पढ़े प्रकृति के?
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बंटती जाती है मां
हर बसती गृहस्थी के साथ
अपने बच्चों की।
होती जाती है और उदार
हर नए बनते संबंध में
सौंपती जाती है
एक एक करके
अपनी पूंजी
रिवाजों की
रिश्तों की
अलमारी में रखे गहनों की
अंत में दे देती है
अपना घर भी
जो मकान की तरह बंट जाता है।
सबके हिस्से थोड़ा थोड़ा
घर आता है।
मां के हिस्से आते हैं
सबके मकान
सबकी होते हुए भी
मां कहीं की नहीं होती
और बंट जाती है
अपने अकेलेपन के साथ
अन्यथा भरे हुए
अलग अलग घरों में।
#जयन्ती-
कहते हैं
नाजुक सी चीज होती है औरत
मर्दों का सहारा लेना ही पड़ता है।
पर मां तो ...
पापा के जाने के बाद भी
बहुत मजबूती से खड़ी है...?-
टूट गया था मेरा ढांचा और हारकर रो पड़ी
किसी ने नाम पुकारा तो याद आया,
आज मां के घर पर थी मैं।-
मदर्स डे और
नेफ्थलीन की गोलियाँ
(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें)-
मां ! बे - वक़्त सी मुस्कुराहट थी; बचपन की,
ये, बड़प्पन का तकिया चैन से सोने नहीं देता ।।-
तेरे जिक्र सी है खामोशी भी,
तु खुद में खुद इक सवाल है,
पता नहीं "मां" तु क्यूं इतनी कमाल है।🥰-
पापा आपकी एक उंगली को पकड़ के चलना मैंने सीखा था,
मुझे मोहब्बत है मेरी उँगलियों से, ना जाने कोनसी ऊँगली पकड़ कर मैंने चलना सीखा था,
अगर मै रहा भटक भी जाऊं तो मुझे फिर से राह दिखा देना,
आपकी ज़रुरत है मुझे फिर से मुझे समझा देना,
आपके ही नाम से जाना जाता हूं, इससे बड़ी मेरी कोई पहचान नहीं,
मां बाप से बड़ा इस दुनिया में कोई और दूसरा भगवान नहीं.-
मां !
लिख ही दी दुनियां, तो और क्या लिखूं मां,
दो अक्षर का शब्द है, जग तुझमें समाया है,
कितना प्रेम है, केसे बताऊं आपको,
मां के नाम से ही आज उसका बेटा छाया है,
ले ले जान भी अगर प्रेम की बात आएगी,
आपका अंश हूं मां! खुशी होगी अगर मेरी जान भी चली जाएगी।-