सर्द हवाओं में घूम रहा हूं ओस की बूँद बंकर,
एक सवाल की तलाश में दरबदर.-
आस्तिक भी हूँ नास्तिक भी, पर जो भी हूँ वास्तविक हूँ ।
लोग कहते है उस बेवफा ने बर्बाद किया तुमको,
मैं कहता हूँ, मैं खुश हूँ की उस बेवफा ने आज़ाद किया हमको.-
आज मेरा मन व्याकुल है...
एक शोर मचा है इस दिल में,
क्यों होड़ मचा है इस दिल में,
वो दर्पण में दिख जाती है,
वो इस दिल से क्यों नहीं जाती है,
इक लम्हा वो रुक जाती है,
वो फिर से वापस आती है,
वो जब भी वापस आती है,
इक लम्हा वो रुक जाती है,
एक शोर मचा है इस दिल में,
क्यों होड़ मचा है इस दिल में.-
तू प्रयागराज सी है सुंदर, संगम सी तू लहराती है,
प्रयागराज के नाम के जैसे, तू क्यों बदल जाती है.-
पापा आपकी एक उंगली को पकड़ के चलना मैंने सीखा था,
मुझे मोहब्बत है मेरी उँगलियों से, ना जाने कोनसी ऊँगली पकड़ कर मैंने चलना सीखा था,
अगर मै रहा भटक भी जाऊं तो मुझे फिर से राह दिखा देना,
आपकी ज़रुरत है मुझे फिर से मुझे समझा देना,
आपके ही नाम से जाना जाता हूं, इससे बड़ी मेरी कोई पहचान नहीं,
मां बाप से बड़ा इस दुनिया में कोई और दूसरा भगवान नहीं.-
इस दिल को तोड़ कर भी तुम इसमें राज करते हो,
हमने कल देखा था तुम्हें, तुम आज भी प्रयागराज रहते हो.-