नन्हें चूज़े आ जाओ तुम,मेरे पात की छाया में,
नन्हें-नन्हें पंख तुम्हारे,भीग न जाएं बरखा में।
बोलो मम्मी कहाँ तुम्हारी,कहाँ गए हो तुम खो,
बरखा की बूँदों में देखो , ऐसे तुम दोनों न रो।
मम्मी मेरी होती यहाँ तो,सिर पर मेरे छाता रखती,
आँचल में छिपाकर मुझको,सबसे महफ़ूज़ रखती।
तुम भी मेरे प्यारे दोस्तों,मेरी बाहों मे आ जाओ,
मेरी ममता के साए में,चुपके से आकर सो जाओ।
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