उसे ग़ुरूर है अपनी मर्दानगी पर औरत पर हाथ उठाता है
औरत जो कमज़ोर दिखाकर वो खुद को मर्द बुलाता है-
हर रोज होता महिलाओं पर अत्याचार,
फिर ये कैसा "महिला दिवस" का त्यौहार।-
हर कोई महिलाओं की स्वतंत्रता से प्यार करता है,
परन्तु जब तक कि उनके अहंकार को खतरा नहीं है।।-
जब देश के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में सेनेटरी पैड और मेंस्ट्रुएशन का खुले आम ज़िक्र किया, मेरे दिल से उनके लिए तारीफ़ निकल रहा है और उम्मीद है कि मेंस्ट्रुएशन का ये टैबू भारतीय समाज से धीरे-धीरे निकल जाएगा."
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महिलाओ को शिक्षा की
जरूरत है व्रत की नहीं l
क्योंकि रिश्ता तय करते समय
डिग्रियां पूछी जाती है व्रत नहीं l-
जिस देश में नारियों को मां का दर्जा देकर वर्ष में दो बार नवरात्रि पर्व मनाया जाता हो उस देश में क्या मातृशक्तियों ( बेटियों ) से सुलूक का यही तरीक़ा हैं ... ? ऐसा एक - एक क़दम बड़े जनरोष की ओर ले जा रहा हैं...
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कोई बालकनी में खडा़ है
कोई टीव्ही वाले कम़रे में पडा़ है
कोई अपनी मोबाईल में व्य़स्त है
थोडी़ थोडी़ देर में हरकोई
अपनी जगह बदल रहा है
लेकिन....
एक शख्स् है जिसकी जगह नही ब़दली है
वो रसोई सें बार बार आवाज दे रहा है !
क्या बनाना है,
मीठा या तिख़ा,
शायद आज उसीकी
वजहा से लाँकड़ाउन सफल हो रहा है!
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ऐसे पुरुष जो अपना समय
महिलाओं से
दुश्मनी रखने में निवेश करते हैं ये लोग
किन्नरों से भी गए गुजरे होते हैं।
क्योंकि
किन्नर समाज महिलाओं से
दुर्व्यवहार नही करते
केवल पुरुषों के आगे ताली बजाते हैं।-