"महकते पल"
प्रणय के पगडंडियों पर चलते हुए,
विश्राम करता था प्रेम के बगिया में,
प्रेम अनुभूतियों के महकते पलों को,
संजोए रखाता हूँ अपने मन-मंदिर में।
ना जाने कितने दिन और रातें,
प्रेम आलिंगन हो व्यतीत किये,
उन महकते पलों को याद कर,
हो जाता है हृदय आनंदविभोर।
गगन में टिमटिमाते उन तारों को,
चँदा की उस अद्भुत ज्योत्स्ना को,
देख हृदय में जागृत होती तेरी यादें,
याद दिलाती उन महकते पलों को।
रेतो पर पड़े थे अनगिनत पद चिन्हें,
जहाँ किया करते थे निशा-भ्रमण,
पर अब मिट गए हैं वो निशानियाँ,
पर जब गुजरता हूँ कभी उस राह,
तब याद आती है बिताए उन महकते पलों का।
एस.के.पूनम।
-