जिसके हाथों में थी क़िस्मत की लकीरें वो क्यों मर गया,
जो था मनहूसियत से भरा वो मनहूस जिंदा कैसे रह गया!!-
फिर एक बार।
फिर एक बार।।
फिर एक बार।।।
बस भी करो
😱 तीन हो गए यार 😱-
तिरा नाम लेते ही क्यों अजीब मायूसी छा जाती है...
इतने अज़ीज़ शख़्स को मनहूस बना दिया इश्क़ ने ।-
चल लिख लें ख़ुद के लिए कुछ ऐसा
जैसे मनहूस अभागा मतलब कुछ भी ऐसा-
कौन भूल पाता हैं वो
मनहूस दिन,
हर शख़्स के पास
एक तारीख़ पुरानी हैं।-
आ जा रे आ जा, ऐ काली मनहूस रातें,
करनी हैं तुझसे, कुछ अपने दिल की बातें..
कभी हम कोसा करते थे, तुम्हें जी भर-भर के,
अब तुम्हारे पाँव धोते हैं, आँखों में आँसू भर-भर के..
अब वो दिन के सुहाने सपने, अच्छे नहीं लगते,
हम भी बड़े हो गए हैं, अब बच्चे नहीं लगते..
छोड़ दिया बचपना, अब समझदार लगते हैं,
एक ही शरीर के अन्दर, अब कई किरदार रखते हैं..
तुम रात हो, तो दिन से तुम्हारी दुश्मनी होगी,
हम दुश्मनों को भी, दिल में बिठाकर रखते हैं..
ऐ काली मनहूस रातें, ऐसे ही नहीं हम जख्मी हैं,
जख्म देने वालों का भी, हम पूरा ख्याल रखते हैं..!-
किसी के साथ कुछ रास्ते
हमेशा के लिए मनहूस हो जाते है
फिर चाहे वो सफ़र के
बीच रुलाये या सफर के बाद-