QUOTES ON #मनमीत

#मनमीत quotes

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27 JAN 2020 AT 7:18


हम दोनों
मनमीत
बन जायें
तू मेरा विश्वास
और
मैं तेरी
हर सांस
बन जाऊं

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26 NOV 2020 AT 23:13

ढूंढ़ रहे थे हम खुद के वजूद को, संभलने की गुहार, फब्तियां कसी हर एक ने यही,
तू ज़िन्दगी जो थी, मेरी जान-ए-बहार, तू रूठी सही, जुदा हरगिज़ मुझसे नहीं।।

- पूजा गौतम

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20 JAN 2020 AT 8:16

मैं गम में भी ख़ुशी का सबब ढूंढता हूँ,
जिन्दा हूँ, जिंदगी का मकसद ढूंढता हूँ!

फ़साने तो बनते रहेंगे, चर्चे भी होते रहेंगे,
मैं दीवाना हूँ, बेखुदी हो बेखुद ढूंढता हूँ!

अंजाम एक ही है हर एक आदमी का,
रहूँ जिन्दा दिलों में कोई सबब ढूंढता हूँ!

तेरे वजूद का अहसास है मुझे बेशक,
सूरजमुखी-सूरज सा रिश्ता ढूंढता हूँ!

कोई अच्छा सच्चा मनमीत मिल जाए,
मैं तो बस चीज़े ऐसी गज़ब ढूंढता हूँ!

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31 MAY 2020 AT 18:14

कोई लौट कर आओ और सुखद
समाचार जो तुम लाओ
मैं हर्षोल्लास में संलग्न संलिप्त
हो जाऊँ काल्पनिक संसार में..

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27 JAN 2020 AT 15:41

तू श्याम बने मेरे मन का .... मैं तेरे मन की मीत बनूँ !

जो गूँज उठे तेरे दिल में .... मैं ऐसी कोई गीत बनूँ !!

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22 AUG 2017 AT 0:09











बारिश की बूंदें है, या गीत कोई,
बादल यूँ घिर-घिर आये,
जैसे घर आए मनमीत कोई,
ऐसा लगता है देख, बारिश होते हुए,
जैसे रोया है कोई मुस्कुराते हुए...
-aRCHANA

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9 MAY 2024 AT 20:19

आँखों की चमक बताती हैं कि ख़्वाब किस तरह पल रहे हैं।
कि ख़ुद को "कुंदन" करने के लिए हम आज भी जल रहे हैं।
शरीर से निकल रही "पसीने की खुशबू" बताती हैं कि हम।
"मेहनत के मार्ग पर" चलकर हम मंज़िल की ओर बढ़ रहे हैं।
आज धूपमेंजलकर कोयला हो गए हैं फिरभी कोई ग़म नहीं।
ख़ुशी इस बात की है कि कलकेलिए हम लोहे सा पक रहे हैं।
मेहनतकीरोटी शरीर को पत्थर सा सुदृढ़ बना देती हैं एकदम।
जिसके दम पर हम हर मुश्किलात से बेझिझक ही लड़ रहे हैं।
कर्म भूमि को अपनी माँ और मेहनत को जीवनसाथी मानकर।
हमतो अपने जीवन की गृहस्थी में सुखी-सुखी आगे बढ़ रहे हैं।
ज़्यादा समझ नहीं आती हैं हमको इस दुनिया की दुनियादारी।
इसलिए हम अपनी ही धुन में अपनी दुनिया में जिए जा रहे हैं।
धीरे से धीमी आँच पे पके ये व्यंजन जिसका नाम सफलता है।
हम सफलता के मार्ग पर मेहनत की साझेदारी से चल रहे हैं।
आँखों में आँखें डालकर गरजकर बात करसकतेहैं हम "अभि"।
काहे कि अभीतकहम अपनी ईमानदारी के मार्गपर चलरहे हैं।

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5 NOV 2019 AT 11:34

"सुनो ना" जब भी कहती हो तुम!
एक अलग ही दुनिया में मैं हो जाता हूँ गुम!!

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17 JUN 2021 AT 23:06

उसकी यादें

उसकी यादों में जब-जब भी, मैं डूब जाती हूँ
सच कहूँ तो अपनी रूह को, मैं तड़पा जाती हूँ !!

उसका वो मुझ पर बरस जाना बादल बनके
क्या मैं भी कभी बनके बदली उसको नहलाती हूँ?

वो आना दबे पाँव और बंद करना आँखें मेरी
पलटकर मैं जो देखूँ तो बस अब चौंक जाती हूँ !!

यादों का दर्द उसकी सालता मुझे इस क़दर
क्या कभी प्रियतम को मैं भी याद आती हूँ?

ये हवाएँ जो कभी प्यार से लबरेज़ होती थीं
छुअन से इनकी मैं तड़प, विरह के गीत गाती हूँ !!

सोते थे कभी साथ हम, बाँहों में बाँहें डालकर
अब उसकी शेष यादों को थपकियाँ दे सुलाती हूँ !!

बिछड़ गया पिछले जनम, मनमीत जो मेरा
सहारे आहों के अपनी, उसे वापस बुलाती हूँ !!

चले आओ जहाँ भी हो, तुम्हें कसम है मेरी अब
देखो न अश्रु-पुष्पों से तुम्हारी सेज सजाती हूँ!!

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12 SEP 2020 AT 13:25

कोशिश इन् दूरियों को ख़त्म करने का किया होता तो अच्छा होता,
सवाल बिछड़ने का नहीं, साथ रहने का किया होता तो अच्छा होता,
यूँ तो हम भी इलज़ाम लगा सकते थे तुमपर हज़ारो,
पर तब क्या ये रिस्ता हमारा किसी भी लिहाज़ से सच्चा होता।।

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