CA Vinit Jaluka   (विनीत जालुका(Soch))
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"जो खुदसे लिखता है, वो खुदको लिखता है"😊
Joined 16 September 2019


"जो खुदसे लिखता है, वो खुदको लिखता है"😊
Joined 16 September 2019
24 OCT 2024 AT 16:51

तुझको देख, तुझमें घुल गया हु मैं,
पाकर तुझको, सब कुछ भूल गया हु मैं,
खो गए थे, जो मासूमियत के किस्से कल तक,
मिलकर तुझसे आज, मुझको मिल गया हु मैं।।

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5 SEP 2024 AT 22:04

Happy Teachers Day "जिंदगी"!

बनाया तुमने,
जताया तुमने,
टूटते रिश्तों को,
हर बार बचाया तुमने।।

समझाया तुमने,
सताया तुमने,
अंधेरे रास्तों को,
हर कदम जगमगाया तुमने।।

सिखाया तुमने,
आजमाया तुमने,
टूटते ख्वाबों को,
हर रात सजाया तुमने।।

जिताया तुमने,
हराया तुमने,
छलकती आंखों को,
हर पल हसाया तुमने।।

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7 JUN 2024 AT 15:31

अब तो खो दिया,
अब पाने की चाह नहीं,
जो नींद से जागा में,
तो और सोने की चाह नहीं।।

कुछ है जो वक्त थम गया,
कुछ है जो में वक्त से लड़ गया,
ऐसी जो कुछ बात हुई,
में चलते चलते थक गया।।

दिल की खामोशियों,
का अब कोई जवाब नही,
कहने को तो सब है,
पर कोई भी साथ नहीं।।

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11 MAY 2024 AT 14:52

बेशक खड़ा हूं चांद की रोशनी मे आज में,
मगर अंधेरे रास्तों से गुजरना भी हकीकत था,
बेशक जुड़ा हूं असलियत भरी कामयाबी से आज में,
मगर ख्वाबों का टूटना भी हकीकत था।

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16 JUN 2023 AT 1:12

ना कोई उम्र पूछेगा,
ना पूछेगा कोई तुम्हारा कल,
जो होगी सच्ची निष्ठा तुम्हारी,
तो हर एक संघर्ष का मिलेगा फल।।

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24 FEB 2023 AT 0:25

Never regret your past, instead frame it till last,
Present is pleasant, be fond of every moment,
Future is better, just be your own creator

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7 FEB 2023 AT 22:42

उस 'Rose' को अब, कौन सा 'Rose' दू में,
हर एक 'रोज़' जिसका, दीवाना हूं में।।

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8 NOV 2022 AT 20:39

ये मेरा पहला इज़हार, तेरे लिए,
दुनिया जहान की बहार, तेरे लिए,
तू कहे तो गीतों के महल बना दु,
मेरी खुशियों का सारा संसार,तेरे लिए।।

ये मेरा उम्र भर का ऐतबार, तेरे लिए,
सात जन्मों तक का इकरार, तेरे लिए,
तू कहे तो पूरा शहर सजा दु,
ये बाजारों के सारे उपहार,तेरे लिए।।

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28 OCT 2022 AT 2:48

तुझे लिखूं, या तुझ पर लिखूं,
किस्से ख्वाबों के, या हकीकत के गज़ल लिखूं
जो हो मालूम अगर, तो मुझे भी बता देना,
लम्हे सारे, या केवल एक पल लिखूं।।

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28 OCT 2022 AT 1:49

ना बस्ते राम किसी में,
ना सीता सा त्याग किसी में,
जो हो किसी से, नफा अपना,
दिखते फिर चारो-धाम उसी में।।

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