मुझे तुम्हारे हर एक फैसले पर ऐतबार है कान्हा अगर मैं टूट रही हूं तो यकीनन तुम मुझे मजबूती से जोड़ रहे होंगे।।
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"रिश्ते नाते एवं मिष्ठान्न "
(रिश्ते मनुष्यों तक ही कहाँ सीमित हैं!
अन्य जीवों, निर्जीवों से भी होती हैं।)
जलेबी सा ही क्यों रसगुल्ले से भी जोड़िए?
दोनों में ही चाशनी की सुगबुगाहट होती है।
रिश्ते यदि अच्छे हों तो किसी से भी क्यों न हो!
फिकर हो तो चिंता में अवश्य घबराहट होती है।-
कैसे करोगे दूर अपने से मुझको कान्हा?
मुरली बनकर तेरे अधरों पे झूल जाऊंगी-
मजबूती से ज्यादा खूबसूरती
दे दी मकान को !!
फिर क्या ,,,,,
,
ढह गया !!-
मजबूरी की मजदूरी नहीं होती रूह;
वरना कितनों की खामोशी आज चीख होती!!-
"उसकी आवाज़ को
इतना मजबूत क्यों न होने दिया
कि वो आज भी
बिना कहे ही अपने सुने जाने
का इंतजार करती है..."-
तू हाथ में हुनर और दिल में मोहब्बत रख,
दिमागी मजबूती से दुनिया पर हुकूमत रख"-
मैने आज खुद को उन जंजीरो से बांध लिया है,
जिनकी मजबूती का प्रमाण मेरा दृढ़ निश्चय है।-
जो मजबूत कंधे उठाते हैं...
जिंदगी की मजबूरियों का बोझ,
उन कंधों का कमजोर पड़ना...
ना योग है ना ही संयोग।।-