उन्होंने अपनी चाहतों को अपनी ज़रूरतें कहकर हमें कुछ ऐसा भरमाया
कि हम अपनी ज़रूरतों को चाहतें समझकर उन पर ताउम्र कुर्बान होते रहे-
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जो अबला है वो सबला का बख्तरबंद पहने है
और सबला ने अबला का मेकअप कर लिया है
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ज़िंदगी भरसक तमाशा सही
पर इस तमाशे में सभी किरदार शामिल नहीं
कुछ तमाशबीन हैं तो कुछ हैं मामूली कर्मचारी
क्रांति का मक़सद भी इस तमाशे को ख़त्म करना नहीं
तमाशे की डोर जिस हाथ है
उसके उत्तराधिकारी तमाशे को बंद करना क्यों चाहेंगे?
तमाशबीनों के बच्चे तमाशे में हिस्सा लेकर ही मानेंगे
तमाशे का विरोध करना भी एक तमाशा है
ये खेल भी पुराना है
इसलिए इस तमाशे में ज़रूर हिस्सा लीजिए
पर ये ज़िंदगी नहीं सिर्फ़ तमाशा है
इस बात को हमेशा याद रखिए-
शादी न प्यार से चलती है और न आदर्श से..
ये चलती है तो बस क्राइम पार्टनरशिप से!-
मित्रों?
मैं तो देश को आसमान पर ले जाना चाहता हूं
लेकिन वो तो ऐसे हैं कि अंतरिक्ष में भी
जाति जनगणना की बात करेंगे
आपका स्पेससूट छीनकर मुसलमानों में बांट देंगे
और गलती से उन्हें कोई परग्रही मिल गया
तो उसको भी भारतीय नागरिकता तोहफ़े में दे देंगे
मगर आपको और हमको ऐसा होने नहीं देना है-
کسی کو پیار لکھتے لکھتے بھی
ایک تھکن سے ہونے لگتی ہے
مقصد چاہئے کچھ بھی ہو
لیکن ہر لکھی ہوئی بات
اسے پڑھے جانے کا
بڑی ہی بےصبری سے انتظار کرتی ہے
یوں اچانک ي کھیل آیا
معائنے خود کو پیار نہیں لکھ۔-
पूंजीवाद एक बीमारी है
लेकिन जातिवाद तो महामारी है
फेमिनिज्म कड़वी दवाई है
जिसे फ्यूडलिज्म की शीशी में भरकर
बाज़ार ने मुंहमांगी बोली लगाई है
जिसकी कम्युनिज्म ने दलाली खाई है
डेमोक्रेसी के शोर में
इक्वालिटी, जस्टिस और फ्रीडम की मिठाई
बस ठेकेदारों ने खाई है
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मरने से पहले कुछ हो न हो... माफ़ीनामा ज़रूर लिखना चाहिए. आप जिनके साथ गलत रहे, उसे आप अगर अपने आखिरी वक्त में भी स्वीकार न कर सके तो फिर वो अंतिम विदाई नहीं है.. जीवन के बाकी अध्यायों में कई सवाल भले अधूरे रह जाएं पर आखिरी अध्याय में उन सवालों के जवाब ढूंढ़ लेने चाहिए.
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