मैं मुसाफ़िर हूँ चलता जाऊँगा
अपनी मंज़िल तक
इक न इक दिन जरूर पहुँच जाऊँगा
माना राह में दुश्वारियाँ होंगे
मैं फिर भी सरलता खोजता जाऊँगा
मैं घने अवसाद में
अपनी सफलता ढूँढता जाऊँगा
मैं मुसाफ़िर हूँ चलता जाऊँगा
सारे दुश्वरियों को झेलता जाऊँगा।-
पत्थर स्वयं हटाने होंगे,
खुद ही पांव बढ़ाने होंगे।
गर मंजिल तक पहले पहुंचे,
सब अपने दीवाने होंगे।
चूक गए गर आंखों से तो,
अपनी ओर निशाने होंगे।
शंख सीपियां चुनना है तो,
गोतें कई लगाने होंगे।
खुद को रौशन करना है तो,
दीए कई जलाने होंगे!!-
हां !..
सत्य की राह पर चल मंज़िल को पाने की
किसी को सत्य मार्ग पर अपने साथ ले जाने की
किसी का भविष्य संवारने की चाह होनी चाहिए
आनंद को सदा आनंद में आनंदित रहने की-
ख़ुदा ने कुछ लोग कच्चे मकानों में
कुछ बँगलों में बसाए हैं...
कमल कीचड़ में भी खिल गए
ग़ुलाब काटों में भी मुस्कराये हैं,
हवा वही चलती है.. ख़ुश्बू वही है सांसों में
बस.. कुछ आँगन में फ़ूल ख़िलते हैं
कुछ गमलों में सजाए हैं,
उम्र की सहर का यह आफ़ताब.. शाम ढ़ले छिप जाएगा
यह जुगनू भी बुझ जाएंगे..
जो ज़िन्दगी के शहर की चकाचोंध देखने.. जंगलों से आये हैं,
अज़ीब है ना..
कमल कीचड़ में भी खिल गए
ग़ुलाब काटों में भी मुस्कराये हैं!
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है कौन.., जो जाता थक नहीं
जीवन इक तपोवन से पृथक नहीं,
जब तक आशा है.. मन "राही"
तेरे प्रयास जाएंगे व्यर्थ नहीं,
जीवन तो युद्ध है.. कर्मों का
छुटे ना सारथी.. रथ कहीं,
उस पार इस दुःख की सराय से
जाता तो होगा.. कोई पथ कहीं,
देखना निराशा का यह निर्मम साया
साथ जाएगा.. तेरे दूर तक नहीं,
तू शज़र सा तूफानों से लड़ मनवा
बेलों सा यूँ पग-पग..लचक नहीं,
यह मुस्कुराहटें चाहे क्षीण सही
है ख़्वाइशों पे.. किसका हक़ नहीं,
जब पत्थर में रब पूजा है
फिऱ दुआओं पे कर यूँ..शक़ नहीं..!-
आ तो गए हैं पथ पर, मंज़िल का पता नहीं!
ले तो लिया है संकल्प, पूरा अभी हुआ नहीं!!
दिखता नहीं अब दूर दूर तक कोई सहारा,
फिर भी ये अभिमान अभी तक घटा नहीं!!!-
जरूरत
तुम्हारे हाथो हम मजबूर है।
मुझे ये भी मंजूर है।
क्योकि मंजिल थोडी दूर है।-
कदम कदम पर विछोह है
फ़िर भी जीवन से कितना मोह है,
ख़्वाब ख्याल सारे वाष्पित से
समपूर्ण मेघोँ से भरा अंबर है
पर एक बूँद भी पिने योग्य नहीं
बस कहने को समुख़ समुन्दर है,
है अभिलाषाओं की अविकसितता
और आकांक्षाओं की विकलांगता...
मन नदियों प्यासा फिर आया
अब कैसे सागर का जल पीना है
बस, पूर्णता की प्राप्ति में
अर्द्धनिर्मित सा जीना है..!!
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