न करुणा न त्याग
न दया न सद्भावना
न पवित्रता न सत्यता
न व्रत न समर्पण
है मन में...
तब मन की वह भावना
जो 'प्रेम' लगती है
'प्रेम' नहीं हो सकती,
हो सकती है तो केवल
भ्रांति...
हो सकती है तो
केवल वासना औ' स्वार्थ!-
25 MAY 2020 AT 19:13
5 AUG 2020 AT 10:23
इंसान ताउम्र...
रिश्तों के मिथ्या भ्रम में
यूँ ज़िन्दगी गुजारता है..,
जैसे खिड़की के शीशे पे
अपनी ही आकृति देखकर
पंछी चोंच मारता है...!-
17 AUG 2018 AT 11:49
दिल का कोना - कोना घूमा फिर भी रहा भरमाया
तुमने भी बस उतना ही देखा जितना मैंने दिखाया-
16 APR 2020 AT 15:12
"तुम" और "मैं" कभी "हम" थे
ये भ्रम था मेरा।
"हम" कभी थे ही नहीं
ये हकीकत था।-
14 MAY 2020 AT 18:51
अदब इश्क का ; समझ ना पाए हम ,
उसे मुझसे इश्क है ; मुझे था ये भ्रम||-
22 MAR 2023 AT 18:43
तुम्हारी तलाश में फिर रहीं हूँ,
क्योकि अब तो तुम्हारा ही "सफर" है "मंज़िल"मेरी .....
अब ख्वाहिश यही हैं कि...
ये सफर अब खत्म ना हो
और तुमसे मिलने की चाहत भी कम ना हो ,
अब तो हर दर्द में मरहम हो तुम्हारे ख्यालों का,
अब तुझ में खोने का मन करता है..
खुद से भी मिलने का मन नहीं करता ,
सोचती हूं शायद ऐसे पा लुंगी तुमको पर ये
सिर्फ भ्रम मात्र ...............
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