दावा द्रुम दंड पर, चीता मृगझुंड पर,
भूषन वितुंड पर, जैसे मृगराज हैं।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर,
त्यौं मलिच्छ बंस पर, सेर शिवराज हैं॥-
बनो न बगुला भगत जीवन में , हो जटायु सा जीवन ,
गुण ग्राहकता का भाव रहे , अनुशासन जीवन का भूषण हो ।
बनो न भस्मासुर जीवन में , हो शिव - शिवम् सा जीवन ,
नित परोपकार का भाव रहे , परमार्थ जीवन का आभूषण हो ।
# प्रमोद के प्रभाकर भारतीय-
मन करता है कवि बन जाऊ ,
देश बदलने को ठन जाउ ।
देश क्रांति में बदले ,
अब दिनकर भूषण मैं बन जाऊ ।।
(पूरी कविता नीचे कैप्शन में पढ़े)
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बहुत हुआ अब ,,
कब तक 'तेरी राह देखु,,
कब तक तेरा इंतजार करू,,
बहुत हुआ अब ,,
अब तुझे भूला दु,,
प्रेम की राह अब छोड दु,,
बहुत हुआ अब.....-
'तेरी मेरी राहे अलग है।
लेकिन मंजिल एक है।।
'तेरी मेरी राहे अलग है।
लेकिन किसमत एक है।।
'तेरी मेरी राहे अलग है।
लेकिन कठिनाया एक है।।
'तेरी मेरी राहे अलग है।
लेकिन खुशी एक ही है।।-
💘इंतेहा💘
अब क्या हो गया,
किस बात से नराज हो तुम।
मुझे सदियां हो गई,
तुम्हें मनाते हुए।
आज स्मेट लो अपनी, कहानी तुम। हां समेट लो अपनी, कहानी तुम.........✍️-
अगर ऐसा नही होता....
ये सारा जहाँ मेरा होता,
ये मौसम, ये आसमान मेरा होता।
सितारो का जहाँन होता,
अगर ऐसा नही होता....
सुकून हर जगा होता,
ये दिल तुटा न होता,
ये पुरा जहाँ मेरा होता...
अगर ऐसा नही होता....
मुसकुराता हुआ ये समा होता।
ख्वाब मेरा पुरा होता,
अगर ऐसा नही होता....-
हम तो कुशल है,तुम सकुशल रहो।
हम तो भूषण हैं,तुम आभूषण रहो!-