Vikram kuchipala   (बोदु)
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P.hd scholar, student
Joined 23 May 2020


P.hd scholar, student
Joined 23 May 2020
22 APR 2021 AT 20:29

कानून अंधा है
हाथ लंबे है लेकिन, काम काफी मंदा है
ध्रुवों के ग्लेशियर भी पिघल रहे है लेकिन
यह नही पिघलता, यह उनसे भी ठंडा है।

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19 APR 2021 AT 22:30

दिमाग की बत्ती नही, डेकोरेशन हो गया
तू आ के दिल में समा गई और जश्न हो गया

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19 APR 2021 AT 20:35

हाल तो तुम्हारे बिना हम बेहाल है
हर वक्त बस तुम्हारा ही ख्याल है
मिलन के पल कब आएंगे हमारे
बस रब से यही एक सवाल हैं।।

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17 APR 2021 AT 20:07

भूख से मर जायेगी जनता,
हर व्यक्ति को मिनिमम दस हजार ₹
मासिक दे सरकार, फिर जितना मर्जी है
उतना लोकडाउन लगाएं
कोई कुछ नही कहेगा
(नाथी को बाड़ो है की ओ)
😠😠😠😡😡😡

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17 APR 2021 AT 12:51

उसकी
भगवान ने,हमको परोस दिया,
जहा वो हमारा दिमाग खा रही है अभी,
फिर पता नही क्या खायेगी।।
😂😂😂😂

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16 APR 2021 AT 12:54

जहाँ हम अपने आप से संतुष्ट हो
अपने काम से संतुष्ट हो
अपने मन से संतुष्ट हो
और तन से संतुष्ट हो
फिर चाहे दुनिया हमसे रुष्ट हो

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16 APR 2021 AT 12:46

मुझसे कहा
तू अँधा है
जो काम तुझे दिखता है
तू उसे नहीं करता
मैं चक्षुहीन जो कहता हूँ
तू उसे करता है

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16 APR 2021 AT 12:26

तू जिन्दा है यह याद कर
सुबह कर, शाम कर
मुहँ से राम राम कर
बुरे काम छोड़कर,
अच्छे काम रोज कर
फिर बेटा, मौज कर
😜😜

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14 APR 2021 AT 5:53

हमारा
बिखेरने
का


देखते है


के लोग

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13 APR 2021 AT 16:09

की तुम्हारी प्रेम पोलिश से,चमक ना सके
तुम्हारी मधुर मुस्कान से,रंगीन ना हो सके
तुम्हारे अपनेपन से,नयी ना हो सके
तुम्हारे बदन की खुशबू से आह्लादित न हो सके
तुम्हारी अदाओं से मुग्ध ना हो सके
जिंदगी इतनी भी खराब नहीं

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