किसी भूली-बिसरी याद सा, होकर रह गया है किरदार मेरा
याद किया नहीं जाता, बस कभी-कभी याद आ जाता हूँ मैं
- साकेत गर्ग 'सागा'-
# भूली बिसरी गलियां #
वो भूली-बिसरी गलियां
बहुत याद आईं
जब भी मिली हैं
मुझे तनहाइयाँ-
एक भूली बुरी याद नहीं, एक सुनहरा कल समझ याद रखना ना मुझे
मेरे बाद जो मैं कभी यूँ ही याद आ जाऊँ, तो तुम याद करना ना मुझे
- साकेत गर्ग 'सागा'-
एक भूली याद हो तुम
एक बीती बात हो तुम
एक दबी सी आश हो तुम
एक धुंधला सा राज हो तुम
एक अधूरा सा ख्वाब हो तुम
फिर भी
इस दिल को बेहद खास हो तुम-
हमें आ ही गया
जाने वाले की यादों को
जिंदा रखना हमें आ ही गया
जिंदगी यादों के सहारे
कट ही जाएगी
इंतज़ार की घड़ियां
खत्म न हो पाएगी
जाने वाले की यादें
हमें रुलाएंगी
रह रह के बातें
याद आएंगी-
इक रात नहीं बीती ऐसी जब मैंने तेरे बारे में ना सोचा हो,
इक रात नहीं बीती ऐसी जब मैंने तेरी चाहत ना की हो,
तेरे लिए ना तड़पी हूं, तेरे लिए बेकरार ना हुई हूं
तेरा इंतज़ार ना किया हो कि शायद कहीं किसी रोज तू आके मुझे थाम लेगा, अपनी आगोश में भर लेगा और फिर से मेरी रातें रंगीन कर देगा...
इक रात नहीं बीती तेरी इन यादों के बिना जो कभी मै भूली ही नहीं...!!-
तोड़ भागे थे कुछ बरस पहले इन जंजीरों को,
आज इन्ही जंजीरों में जकड़ जाने का मन किया,
ऐ नवोदय आज तुझे फिर से गले लगाने का मन किया।-
हम यूं चाहते है
के वो रोज आते है
हम रूठ जाते है
वो बाहों मे समा लेते है-