Aniket Shukla   (उदित)
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Joined 5 March 2019


Joined 5 March 2019
11 APR 2020 AT 2:37

मिलती है जो हसीना एक बार सभी से,
कल मुझसे भी मिली वो आकर ज़मीन पे।
थे होंठ भी गुलाबी औऱ बाल सुनहरे,
मुस्कान पे उसकी थे यमराज के पहरे।
आकर वो बोली मुझसे मेरे साथ चलोगे,
चलते हैं कहीं औऱ या फिर यहीं पे मरोगे।
थी हुस्न की वो खान एक कमसिन सी कली थी,
कल सामने से मुझको मेरी मौत मिली थी।

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5 JUL 2021 AT 21:32

कलम उठाया आज, बड़े दिनों के बाद
सोचा लिखें कुछ दिलचस्प,
लिखा तो बहुत,
पर जाने क्यों चुप थे वो हर्फ
जिन पर तेरा नाम न था।

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23 AUG 2020 AT 16:53

यूं हुक्मरानों की बंदगी अच्छी नहीं ज़नाब,
तीख़ी तेरी ज़बान है,कुछ तो सवाल कर।
उलझा रहेगा कब तक फ़र्ज़ी की खबरों में,
लिख के अब पन्ने पे खूँ,कुछ तो बवाल कर।

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21 AUG 2020 AT 12:37

उन बीते लम्हों को ग़ालिब,
ज़िंदगी की रहगुज़र में तज़ुर्बे से बड़ा कोई रहबर नहीं होता।

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7 AUG 2020 AT 14:56

तेरे ही अंदर बसा है वो, तुझसे जुदा नहीं रहता,
मंदिर मस्जिद गिरिजाघर में तेरा ख़ुदा नही रहता।
ढूंढे क्यों तू काबा काशी,वो तो है सचराचर वासी,
देख मुझे तू नियम में बंधकर, ऐसा तो वो नही कहता।
मंदिर मस्जिद गिरिजाघर में तेरा ख़ुदा नहीं रहता।

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30 JUL 2020 AT 23:24

अज़ब सी नमी है आज मौसम में बाहर,
शायद ज़मीं ने रुख फेरा है आसमानों से अपने।

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29 JUL 2020 AT 12:40

बातों के बनने से इतना क्या डर गए ग़ालिब,
के उम्र भर के लिए होंठ सिल लिए तुमने।

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29 JUL 2020 AT 1:57

रोने से दिल का दर्द कम नही होता,
और दुष्टों के चले जाने से अब ग़म नही होता😂

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28 JUL 2020 AT 14:42

ही सुकून से सोता हूँ अब,
देख कर उसे अधूरे सपने याद आते हैं मुझे

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28 JUL 2020 AT 1:16

प्रेम आलोचना करता है,प्रेम नुक्ताचीनी करता है।
प्रेम वो है जो जहाँ जहाँ मिठास की कमी होती है वहाँ वहाँ अपनी शहद सी आंखों से शहद सी बोली से मिठास भरता है।
कुछ और करने की गुंजाइश है प्रेम...थोड़ा सा सुधार... थोड़ा सा आगे बढ़ना और थोडा सा प्रेम करना ही प्रेम है।
ये कभी सम्पूर्ण नही होता.....या यूँ कहें कि निन्यानवे का फेर होना....... यही प्रेम है उस एक को पाना जो आपके प्रेम को सौ कर दे।

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