Kabir singh
Life partner-
Poetry Khakholia
(Life's desire)
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Simple living high thinking
Joined 4 November 2020
10 FEB 2021 AT 15:50
Chaahat
चाहत तो दिल में बहुत है
पर खुद की कैदी बने रहना
अब आदत सी बन चुकी-
10 FEB 2021 AT 15:47
इजहार करने की अब जरूरत
महसूस नहीं होती
मोहब्बत बिना इजहार
के भी बयां होती
दिल दिल को छू ही लेता-
10 FEB 2021 AT 11:08
जरूरत का क्या है वह तो सब पूरी होती भी नहीं
दुआ में शामिल रखे बाकी सब अपने आप मिल ही जाएगा-
10 FEB 2021 AT 11:05
बस एक वहीं जरूरत कभी पूरी ना कि उस खुदा ने
वहीं एक दुआ रही ख़ाली हमारी-
10 FEB 2021 AT 9:28
यहां भेड़िए बहुत है गीदड़ की खाल पहने हुए
भरोसा किसी पे भी ना करना
सिवाए ख़ुद के-